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त्रिपुरा बार काउंसिल ने की रिजिजू की निंदा

अगरतला, 23 मार्च : त्रिपुरा बार काउंसिल ने गुरुवार को सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के खिलाफ केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू की टिप्पणी की निंदा की और आरोप लगाया कि यह केंद्र सरकार की ओर से न्यायपालिका में हस्तक्षेप का प्रयास है।
अनुभवी अधिवक्ता एवं बार काउंसिल के अध्यक्ष पुरुषोत्तम रे बर्मन ने यहां मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्रीय कानून मंत्री द्वारा की गई वह टिप्पणी अपमानजनक है, जिसमें उन्होंने उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को भारत विरोधी करार दिया।

श्री रिजिजू ने हाल ही में एक कॉन्क्लेव में दावा किया था कि कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीश और कुछ कार्यकर्ता जो ‘भारत विरोधी गिरोह का हिस्सा हैं’ , यह कोशिश कर रहे हैं कि भारतीय न्यायपालिका विपक्षी दल की भूमिका निभाये।
श्री बर्मन ने कहा, “हमारा मानना है कि केंद्र न्यायाधीशों को सरकार के खिलाफ बोलने से रोककर न्यायपालिका पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। यह उन न्यायाधीशों के लिए खतरा है, जो सरकार के सामने झुकने से इनकार करते हैं।”

उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार पूरे देश में ‘तानाशाही’ कर रही है। केंद्र भारतीय न्यायपालिका सहित सभी लोकतांत्रिक संस्थानों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है। केंद्र चाहता है कि उच्चतम न्यायालय और देश की पूरी न्यायिक व्यवस्था केंद्र के अंगूठे के नीचे हो, जिसका प्रमाण देश के उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के भाषण से मिल गया है।

त्रिपुरा उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और कॉलेजियम के अन्य सदस्यों को पत्र लिखकर त्रिपुरा उच्च न्यायालय के स्थायी मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रिक्त पदों को भरने की मांग की थी। अधिवक्ताओं ने गत सात फरवरी को की गयी कॉलेजियम की सिफारिश के संदर्भ में न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह को त्रिपुरा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की मांग की, लेकिन आज तक कानून मंत्रालय ने सिफारिश पर कार्रवाई नहीं की है।

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