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भारत का एआई बाजार होगा 7.8 अरब डॉलर का: यूनेस्को

नयी दिल्ली 20 सितंबर: भारत में कृत्रिम बौद्धिकता का बाजार 2025 तक 20.2 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि की दर से 7.8 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने आज भारत की शिक्षा स्‍थिति रिपोर्ट 2022 (एसओईआर): शिक्षा में कृत्रिम बौद्धिकता – यहां, वहां और हर कहीं को जारी किया जिसमें यह अनुमान जताया गया है।

यह रिपोर्ट यूनेस्को नई दिल्ली कार्यालय की प्रमुख वार्षिक रिपोर्ट है और शोध पर आधारित है। शिक्षा की स्‍थिति रिपोर्ट का यह चौथा संस्करण कृत्रिम बौद्धिकता (एआई) पर आधारित है जो ऐसे विषय को परिभाषित करता है जिसके बारे में अनेक भ्रांतियां व्‍याप्‍त हैं। यह भारतीय शिक्षा क्षेत्र में मौजूद चुनौतियों और अवसरों को उजागर करता है जिसका समाधान कृत्रिम बौद्धिकता कर सकती है।

डिजिटल इंडिया के राष्ट्रीय दृष्‍टिकोण के अनुसार, रिपोर्ट में कार्रवाई किए जाने के लिए दस सिफारिशें की गई हैं। इसमें कहा गया है कि इनसे तकनीकी शिक्षा और उन्नत तकनीक-आधारित समाधान उपलब्‍ध होगा जो भारत की शिक्षा परिवर्तन के सफर को प्रेरित करेगा। इसमें कहा गया है कि शिक्षा में कृत्रिम बौद्धिकता के नैतिक सिद्धांत को सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में देखने की जरूरत है।

शिक्षा में कृत्रिम बौद्धिकता के लिए एक समग्र नियंत्रक ढांचा तुरंत उपलब्‍ध कराये जाने चाहिए। कारगर सार्वजनिक-निजी भागीदारी होनी चाहिए और सभी छात्रों और शिक्षकों को नवीनतम तकनीक की उपलब्‍धता सुनिश्चित की जानी चाहिए। कृत्रिम बौद्धिकता साक्षरता के प्रयासों को बढ़ाने के साथ ही बार-बार होने वाली त्रुटियों और उससे प्राप्‍त गलत परिणाम में सुधार करने का प्रयास होना चाहिए। कृत्रिम बौद्धिकता में जनता का विश्वास बढ़ाने और निजी क्षेत्र से कृत्रिम बौद्धिकता उत्पाद का विकास करते समय उसमें छात्रों और शिक्षकों को व्‍यापक रूप से शामिल करने की अपील की जानी चाहिए। छात्रों को डेटा को संभालकर और जिम्‍मेदारी के साथ रखने को कहा जाना चाहिए। शिक्षा प्रणालियों में कृत्रिम बौद्धिकता की बहुमुखी प्रतिभा को अपनाये जाने की जरूरत है।

यूनेस्को, नई दिल्ली के निदेशक एरिक फाल्ट ने इस रिपोर्ट को जारी करने के मौके पर कहा कि आज, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार तथा छात्रों द्वारा बहुआयामी शिक्षा प्राप्‍त करना सभी देशों की सर्वोच्च प्राथमिकताएं हैं। भारत ने अपनी शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण प्रगति की है और इस बात के ठोस प्रमाण हैं कि देश ने शिक्षा के विविध क्षेत्रों का विस्‍तार करने के लिए उल्‍लेखनीय प्रयास किए हैं जिनमें कृत्रिम बौद्धिकता आधारित शिक्षा प्रौद्योगिकी भी शामिल है।

इसमें कहा गया है कि भारत के पाठ्यक्रम को 21वीं सदी के अनुरूप बनाने और छात्रों को कृत्रिम बौद्धिकता अर्थव्यवस्था के लिए तैयार करने के लिए, भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 शिक्षा के सभी स्तरों पर आवश्यक तकनीकी ज्ञान प्रदान करने की आवश्यकता पर अत्‍यधिक बल देती है। यह गुणवत्ता और कौशल-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा में कृत्रिम बौद्धिकता को शामिल करने पर भी जोर देती है।

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