राजस्थान

सरिस्का में बनेगा बाईस किलोमीटर लंबा एलिवेटेड रोड़

अलवर 13 दिसंबर : राजस्थान के अलवर जिले में स्थित सरिस्का अभयारण्य में वन्यजीवों के स्वछंद विचरण में किसी भी तरह का विध्न ना हो, इसके लिए अब सरिस्का में बाईस किलोमीटर लंबा एलिवेटेड रोड़ बनाई जायेगी।

सरिस्का अभयारण्य के क्षेत्रीय निदेशक आर एन मीणा ने बताया कि इसकी डीपीआर स्वीकृत हो चुकी है। संभावना जताई जा रही है कि छह महीने में इस पर काम शुरू हो जाएगा। इस रोड़ को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा बनाया जाएगा। इसके लिए 2500 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यह रोड नटनी का बारा से लेकर थानागाजी तक बनाई जायेगी।

श्री मीणा ने बताया कि इस रोड की डीपीआर स्वीकृत हो चुकी है और शीघ्र ही इस पर काम शुरू होगा। इस रोड के बनने से सरिस्का के वन्य जीवो को स्वच्छंद विचरण करने में कोई परेशानी नहीं होगी। पहले रात में वन्यजीवों के विचरण में परेशानी होती थी क्योंकि छोटे वन्यजीव कई बार वाहनों की चपेट में आकर अपनी जान को गवा चुके हैं। टाइगर और पैंथर भी वाहन दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं। इसलिए सरकार द्वारा अब सरिस्का के जंगल से एलिवेटेड रोड निकाला जा रहा है जिसकी डीपीआर तैयार हो गई है।

इसका निर्माण नेशनल हाईवे उत्तर के द्वारा किया जाना है इस एलिवेटेड रोड को तैयार करने में पूरी तरह विशेषज्ञ टीम काम करेगी जो जमीन से करीब 15 फुट ऊंचा हो सकता है सरिस्का के कई हिस्सों में सड़क के ऊपर से जा रही बिजली की हाईटेंशन लाइन के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह तो तकनीकी विशेषज्ञ ही बता पाएंगे कि उन लाइनों को शिफ्ट करेंगे या वहां उस रोड को अंडरग्राउंड देंगे। यह नेशनल हाईवे अथॉरिटी का काम है किस तरह इस रोड को बनाया जाए यहां वन्यजीवों को कोई परेशानी नहीं हो।

पहले सरिस्का के अंदर से वाहनों के आवागमन पर रोक लगाई गई थी लेकिन थानागाजी कुशलगढ़ सहित कई गांव के लोगों ने आंदोलन किया था कि इस रोड को बंद नहीं किया जाए क्योंकि कुशलगढ़ से नारायणपुर होते हुए घाटा बांदरोल से इसको निकाला जाना प्रस्तावित था जिससे थानागाजी सबसे ज्यादा प्रभावित होता क्योंकि इस रास्ते से सारा यातायात बंद हो जाता और थानागाजी विकास की दृष्टि से काफी पिछड़ जाता क्योंकि घाटा बांदरोल भी करीब दस किलोमीटर दूर है ऐसे में जब वाहनों का आवागमन ही नहीं होता तो निश्चित रूप से थानागाजी का विकास प्रभावित होता और बाजार भी खत्म होते से प्रतीत होते हैं।

यह आंदोलन भी काफी समय चला था उसके बाद सरकार ने अपना निर्णय बदला और डाइवर्ट रूट की प्लानिंग को निरस्त कर इसी रोड से वाहन चलाने की स्वीकृति दी गई। पहले तो इस रोड को दुरुस्त भी नहीं किया सड़कों पर कई जगह गड्ढे थे। पन्द्रह किलोमीटर का सफर एक घंटे में तय होता था लेकिन बाद में राज्य सरकार के हस्तक्षेप से सड़क दुरुस्त की गई। अभी इसी मार्ग से बड़े वाहन भी निकलते हैं लेकिन एलिवेटेड रोड बनने से और भी यातायात सुगम होंगे क्योंकि सड़क से 15 किलोमीटर ऊपर वाहन चलेंगे और नीचे सिर्फ पर्यटकों के या छोटे हल्के वाहन ही चलेंगे जिससे वन्यजीवों को कोई परेशानी ना हो और सड़क दुर्घटना का शिकार ना हो।

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