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रेलीगेयर केयर फाउन्डेशन और गंगा राम अस्पताल की मदद से मजदूर को मिला नया जीवन

नयी दिल्ली, 14 दिसम्बर,: रेलीगेयर एंटरप्राइज़ेज़ लिमिटेड के जनकल्याण संगठन रेलीगेयर केयर फाउन्डेशन ने सर गंगा राम अस्पताल के साथ मिलकर मजूदरी कर जीवनयापन करने वाले सुल्तानपुर के विनोद गुप्ता को नया जीवन दिया है।

विनोद रोज़ाना मजदूरी करके अपनी आजीविका कमाते थे और उन्होंने एक जानलेवा दुर्घटना में अपनी दोनों टांगें एवं एक बाजू खो दी थी। फाउंडेशन ने विनोद के इलाज का ज़िम्मा उठाया और उन्हें सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती किया गया। इसके बाद उनकी दायीं बाजू की मोबिलिटी लौटाने, सिर (स्कल) की चोट एवं कटे अंगों को ठीक करने के लिए अपनी तरह की पहली सर्जरियां की गईं, क्योंकि हाथ-पैर काटने के बाद उनमें गंभीर सेप्टीसीमिया हो गया था। अब उनके ठीक होने के बाद आज रेलीगेयर केयर फाउन्डेशन ने विनोद की घर वापसी के मौके पर अस्पताल में कार्यक्रम का आयोजन किया।

रेलीगेयर एंटरप्राइजेज की कार्यकारी अध्यक्ष डॉ रश्मि सलूजा ने कहा, ‘‘यह उनके फाउन्डेशन के लिए बेहद महत्वपूर्ण आयोजन है। फाउन्डेशन की मदद से अस्पताल के डॉक्टरों ने कुछ ऐसा कर दिखाया जो कुछ महीने पहले असंभव दिख रहा था। अब विनोद अपनेे घर लौट रहे हैं। जब उन्हें अस्पताल में भर्ती किया तो उनके परिवार को उनके ठीक होने की कोई उम्मीद नहीं थी, उनके हाथ-पैर काटे जाने के बाद टूटे आत्मविश्वास के साथ सब नामुमकिन दिख रहा था। अब विनोद और उनके परिवार के चेहरे पर मुस्कान देखकर हमें बेहद गर्व का अनुभव हो रहा है। फाउन्डेशन में हम विनोद को अपने पैरों पर खड़ा देखना चाहते थे, हम चाहते थे कि फिर से आत्मनिर्भर हो जाएं और अपनी बेटियों के सपनों को साकार कर सकें। हम डॉक्टरों एवं अस्पताल के स्टाफ से मिले सहयोग के लिए उनके आभारी हैं।’’

अस्पताल के अध्यक्ष डॉ अजय स्वरूप ने कहा, ‘‘हमारा अस्पताल हमेशा से समाज के कमज़ोर वर्ग के रीहेबिलिटेशन में अग्रणी रहा है। श्री विनोद गुप्ता ऐसा ही एक उदाहरण है, हमने उनके इलाज के साथ इसी दिशा में एक ओर प्रयास किया है। श्री गुप्ता के अलावा हमारे अस्पताल में समाज के गरीब वर्ग के 9760 मरीज़ों को भर्ती किया गया है और उनका निःशुल्क इलाज किया गया है। पिछले एक साल के दौरान हमारे अस्पताल में विभिन्न चैरिटेबल गतिविधियों पर लगभग रु 50 करोड़ खर्च किए हैं। एसजीआरएच का उद्देश्य सभी लोगों को विशेषज्ञ उपचार उपलब्ध कराना है, फिर चाहे वे समाज के किसी भी वर्ग से ताल्लुक रखते हों।’’

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