त्रिपुरा में ‘शून्य चुनाव हिंसा मिशन’ सुनिश्चित करने के लिए रणनीति
अगरतला 13 फरवरी : त्रिपुरा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी किरण गिट्टे ने ‘शून्य मतदान हिंसा मिशन’ को हासिल करने की रणनीति के तहत सोमवार को 60 विधानसभा क्षेत्रों में से प्रत्येक के लिए एक अलग लैंड फोन, मोबाइल और व्हाट्सएप नंबर जारी किया। साथ ही मतदान के दिन यदि किसी को मतदान प्रक्रिया में किसी प्रकार की समस्या की स्थिति में मतदाताओं से इन नंबरों पर संपर्क करने का आग्रह किया।
पिछले पांच वर्षों के दौरान त्रिपुरा में सभी पांच प्रमुख चुनावों की तरह सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की ओर से मतदाताओं को अपने मताधिकार का प्रयोग करने से रोकने की आशंका के साथ, विपक्षी दलों ने भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) से यह सुनिश्चित करने की मांग की है कि प्रत्येक मतदाता अपनी पसंद का चुनाव करे।
श्री गिट्टे ने कहा,“मतदाताओं को चाहिए कि वे प्रसन्नचित्त होकर निर्भय होकर घर से बाहर निकलें और यदि उन्हें मतदान केंद्र पर जाते समय डराने-धमकाने या धमकी सहित किसी प्रकार की कोई समस्या आती है तो वे फोन या व्हाट्सएप के माध्यम से संक्षेप में अपनी स्थिति तथा समस्या के बारे में सूचित करते हैं। हम जल्द से जल्द मौके पर पहुंचेंगे और कानून के मुताबिक स्थिति से निपटेंगे।”
उन्होंने बताया कि आयोग ने चौबीसों घंटे निगरानी के लिए, विशेष रूप से मतदान के दिन, एक सिविल सेवा अधिकारी के साथ-साथ प्रत्येक मतदान केंद्र के लिए जमीनी स्तर के पुलिस अधिकारियों को नामित किया है। जो कोई भी बूथ कैप्चरिंग, जबरदस्ती, डराना-धमकाना या किसी भी मतदाता को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से डराने-धमकाने और उसे मतदान केंद्र पर जाकर वोट डालने से रोकने का अपराध करता है, तो अपराधी के खिलाफ लोक अधिनियम, 1951 की धारा 35 ए (सी) के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
श्री गिट्टे ने चेतावनी देते हुए कहा,“अपराधी को ना केवल तीन वर्ष तक की कारावास हो सकती है बल्कि जुर्माने भी हो सकता है। यदि ऐसा अपराध सरकार की सेवा में किसी व्यक्ति द्वारा किया जाता है तो उसे कम से कम तीन साल लेकिन इसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माने भी अदा करना होगा।”
उन्होंने कहा कि ईसीआई ने सभी चुनाव लड़ने वाले दलों के लिए एक समान अवसर सुनिश्चित किया है, और पुलिस गड़बड़ी फैलाने वालों एवं अपराधियों को उनकी पार्टी की संबद्धता पर विचार किए बिना गिरफ्तार कर रही है। इससे हिंसा की घटनाओं में काफी कमी आई है और ईसीआई अगले दो दिनों तक इसे शून्य करने के लिए काम कर रहा है ताकि आदर्श स्थिति में मतदान हो सके।”
उन्होंने कहा कि कानून के अनिवार्य प्रावधान के तहत 72 घंटे का प्रोटोकॉल सोमवार से पूरे राज्य में शुरू हो गया, क्योंकि गुरुवार को चुनाव होना है। सीईओ ने कहा कि प्रोटोकॉल के मुताबिक होटल, गेस्ट हाउस, धर्मशाला और शादियों में चेकिंग शुरू कर दी गई है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति जो मतदाता नहीं है, चुनाव से 48 घंटे पहले संबंधित मतदान केंद्र में नहीं रह सकता है।
सीईओ ने कहा,“भारत-बंगलादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा, असम व मिजोरम सीमाओं को सील कर दिया गया है। मोटरसाइकिल रैलियों की अनुमति नहीं दी जा रही है और उम्मीदवारों को सोमवार दोपहर तक अपने चुनावी खर्च का हिसाब चुनाव पर्यवेक्षक को जमा करना है।”
उन्होंने यह भी कहा कि जिस व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में नहीं है, वह मंगलवार शाम तक संबंधित क्षेत्र को छोड़ दें। साथ ही पांच से अधिक लोग एक साथ यात्रा नहीं कर सकते हैं और उम्मीदवार चुनाव के दिन तीन वाहनों का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन मतदाताओं को ले जाने के लिए नहीं।
मुख्य चुनाव अधिकारी ने कहा कि नौ फरवरी से 11 फरवरी तक लगभग 8,500 विकलांग और 80 वर्ष से अधिक उम्र के मतदाताओं ने मतपत्रों के माध्यम से अपने लोकतांत्रिक प्रयोग का प्रयोग किया। लगभग 56,000 मतदान और सुरक्षा कर्मियों और चुनाव से जुड़े अन्य कर्मचारियों ने डाक मतपत्रों के माध्यम से अपना वोट डाला है। रविवार को पोस्टल बैलेट वोटिंग का आखिरी दिन था।