‘आप’ की लीगल सेल ने किया एलजी हाउस का घेराव
नयी दिल्ली, 15 फरवरी : राष्ट्रीय राजधानी की आम आदमी पार्टी(आप) की लीगल सेल के वकीलों ने मेयर चुनाव बार-बार टालने पर बुधवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया।
‘आप’ की लीगल सेल के अध्यक्ष एडवोकेट संजीव नसीयर ने कहा,“ उपराज्यपाल दिल्ली सरकार की सभी जनकल्याण की योजनाएं रोक रहे हैं, उसके विरोध में हमलोग आज सड़क पर उतरे हैं। हमारी मांग है कि संवैधानिक पद पर बैठे हुए उपराज्यपाल संविधान और कानून के हिसाब से काम करें। भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) का औजार न बनें। अगर दिल्ली सरकार के खिलाफ भाजपा और उपराज्यपाल का इसी तरह का रूख रहेगा, तो इसके खिलाफ वकील लोकतांत्रिक तरीके से सड़क और कोर्ट दोनों जगह लड़ेंगे।”
प्रदर्शन में शामिल वकीलों का कहना है कि अगर भाजपा और उपराज्यपाल ने संविधान को किनारे कर सरकार चलाई तो भारत के सारे वकील इकट्ठे होकर उन्हें भी किनारे लगा देंगे। उन्होंने कहा,“ दिल्ली के उपराज्यपाल को संविधान के अनुसार कार्य करना चाहिये लेकिन जिस दिन से श्री सक्सेना ने उपराज्यपाल ने पदभार संभाला है, उसी दिन से वह किसी भी नियम का पालन नहीं कर रहे हैं। वह संविधान, एमसीडी एक्ट, दिल्ली बिजनेस ट्रांजेक्शन रूल कुछ भी नहीं मानते हैं।”
उन्होंने कहा,“ इस बार मेयर चुनाव में उपराज्यपाल ने दखलअंदाजी करके भाजपा के 10 मनोनीत पार्षद बनाए। उन्हें जबरदस्ती वोट डालने का अधिकार दिया। इसे लेकर जब मेयर प्रत्याशी डॉ. शैली ओबरॉय ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई, तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एलजी और प्रोटेम स्पीकर गलत कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मनोनीत पार्षद को वोट डालने से रोका। यही स्थिति शिक्षा के क्षेत्र में भी देखी गई। जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने सरकारी स्कूलों के शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने का फैसला किया है, तो उपराज्यपाल ने अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल करके शिक्षकों की ट्रेनिंग रोक दी।”
लीगल सेल के वकीलों ने दिल्ली के उपराज्यपाल को बदलने की मांग की। उनका कहना है कि ऐसे व्यक्ति को उपराज्यपाल बनाया जाए, जो संवैधानिक प्रावधान को समझें और कानून के दायरे में रहकर कार्य करें। दिल्ली की चुनी हुई सरकार को जनकल्याण से जुड़े कार्यों को रोकने का प्रयास न करें।