महू प्रकरण की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश – गृह मंत्री
भोपाल, 16 मार्च : मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के महू क्षेत्र में एक आदिवासी युवती की मृत्यु और उसके बाद हुए उपद्रव का मामला आज विधानसभा में उठने पर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि संपूर्ण मामले की मजिस्ट्रियल (दंडाधिकारीय जांच) जांच के आदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिए हैं।
सदन की कार्यवाही प्रारंभ होते ही नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह और अन्य कांग्रेस सदस्यों की ओर से यह मामला उठने पर श्री मिश्रा ने यह बात कही। इसके पहले नेता प्रतिपक्ष ने इस मामले में गृह मंत्री से वक्तव्य देने की मांग की।
गृह मंत्री ने कहा कि जिस लड़की की मृत्यु की बात कही जा रही है, वह संबंधित युवक के साथ रहती थी। उन्होंने इस मामले में प्राप्त प्रारंभिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वह पानी गरम कर रही थी, इसी दौरान उसे करंट लगा और उसकी मृत्यु हो गयी। लड़की के मायके वाले इस बात से आक्रोशित हो गए और कल उन्होंने सड़क पर जाम लगाने के साथ ही आरोप लगाया कि उसकी हत्या की गयी है।
गृह मंत्री ने कहा कि इस मामले में पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया और उसे थाने लेकर आयी। पीछे पीछे भीड़ भी आ गयी और उसने थाने पर पथराव किया। उनकी मांग थी कि युवक उन्हें सौंप दिया जाए और वे स्वयं न्याय करेंगे। पथराव में थाना प्रभारी घायल हुए हैं और उन्हें इलाज के लिए इंदौर भेजा गया है। लगभग 13 जवान भी घायल हुए हैं। इसी बीच गोली भी चली।
श्री मिश्रा ने कहा कि आज सुबह लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी दोपहर तक आने की संभावना है। मुख्यमंत्री ने संपूर्ण मामले की दंडाधिकारी जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि लड़की के मायके वाले उसके साथ गेंगरेप की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जांच में सब स्पष्ट हो जाएगा।
इस बीच कांग्रेस की वरिष्ठ विधायक विजयलक्ष्मी साधौ ने कहा कि लड़की की मृत्यु हो गयी है। इस मामले में रिपोर्ट भी नहीं लिखी जा रही थी। लड़की का अंतिम संस्कार आज सुबह साढ़े छह बजे पुलिस की मौजूदगी मे किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि आदिवासियों की सुनवायी नहीं हो रही है।
वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कुछ रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश देश में 13 बार इस तरह के अत्याचारों में पहले स्थान पर रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलाें की जांच भी होती है और फिर टाल दिए जाते हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि एक निश्चित समय सीमा में मामले की जांच होना चाहिए।
अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि इस मामले में उन्हें सदस्यों की ओर से स्थगन प्रस्ताव मिला है। शासन से जानकारी आ रही है। इसके बाद सदन में प्रश्नकाल प्रारंभ हुआ।