अमृत महोत्सव वर्ष में द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति चुना जाना गौरवपूर्ण: रेणुका सिंह
नयी दिल्ली, 08 अगस्त : केंद्रीय जनजाति कार्य राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने कहा है आज़ादी के अमृत महोत्सव वर्ष में राष्ट्रपति के रूप में श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का सर्वोच्च पद पर विराजमान होना सभी के लिए गौरव की बात है और हमें यह बहुत बड़ा तोहफा मिला है।
श्रीमती सिंह ने यहां रविवार को एक कार्यक्रम में कहा, “ सरकारी योजनाओं में जनजाति समाज के लिए बहुत सी योजनाएं हैं, हमें उन अवसरों का लाभ उठाना चाहिए ताकि जनजाति समाज का उत्थान हो।
पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी ने जनजाति मंत्रालय स्थापित किया था, जिसका भरपूर लाभ उठाना चाहिए। ”उन्होंने बताया कि देश में 700 से अधिक जनजातियां हैं, इनकी संख्या 10 करोड़ से अधिक है। वर्तमान में बजट में जनजाति कल्याण और विकास के कार्यों का हिस्सा कुल मिला कर 87,000 करोड़ रुपये है।
उन्होंने कहा कि आवासीय छात्रावासों के माध्यम से आदिवासी समाज में शिक्षा के क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन समाज में आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक जड़ी-बूटियों और अन्य कृषि उत्पाद हैं जिन्हें बंधन केंद्रों के माध्यम से बिक्री के लिए उपलब्ध कराया जा रहा हैं।
सत्ताइस राज्यों में जनजातीय शोध संस्थान केंद्र और अध्ययन की व्यवस्थाएं हैं। बीस हज़ार से अधिक वन अधिकार पत्र जारी किए गए हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना में जनजाति समाज के 34 हज़ार से अधिक लोगों को आवास मिल चुके हैं, 2024 तक सभी इच्छुक आवेदकों को आवास दे दिए जाएंगे। देश में जनजातीय क्षेत्र में एक करोड़ 72 हज़ार से अधिक शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है।
पन्द्रह नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनजाति गौरव दिवस मनाना शुरू किया। श्रीमती सिंह ने बताया सरकार ने निश्चय किया है कि नौ स्थानों पर जनजाति के स्वतन्त्रता सेनानियों की स्मृति में स्मारक और संग्रहालय स्थापित किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुछ लोग जनजाति वर्ग के हितों के दुरुपयोग कर रहे हैं, यह सरकार की दृष्टि में है।
उन्होंने भारत की एकात्मता तथा जनजाति संस्कृति पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की और संगोष्ठी की सफलता की शुभकामनाएं व्यक्त की।
भारत की एकात्मता और जनजातीय संस्कृति पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सभ्यता अध्ययन केंद्र, जनजातीय कार्य मंत्रालय, केन्द्र सरकार और वनवासी कल्याण आश्रम के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। संगोष्ठी में अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे।