दलित छात्र की मौत के विरोध में जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों ने दिया इस्तीफा
श्रीगंगानगर, 16 अगस्त :। राजस्थान के जालोर जिले में गांव सुराणा के दलित छात्र की
अध्यापक द्वारा की गई पिटाई से मौत के विरोध में कांग्रेस के एक जिला परिषद सदस्य तथा एक पंचायत समिति सदस्य ने अपने पदों से इस्तीफे दे दिए हैं।
कांग्रेस के एक अन्य नेता ने जिला स्तरीय एक सहकारी समिति की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है। प्रदेश के बारां जिले से कांग्रेस विधायक पानाचंद मेघवाल द्वारा इस्तीफा दिए जाने के तुरंत बाद श्रीगंगानगर जिले में जिला परिषद की जोन संख्या 2 से डायरेक्टर और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दुलाराम इंदलिया ने भी मुख्यमंत्री के नाम इस्तीफा प्रेषित कर दिया।
इसमें जगदीश इंदलिया ने व्यथा व्यक्त की है कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी प्रदेश में दलित और वंचित वर्ग के लोगों पर लगातार अत्याचार होने से वे आहत हैं।
उन्होंने कहा कि मेरा समाज आज जिस प्रकार की यातनाएं झेल रहा है, उसका दर्द शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। मटकी से पानी पीने के नाम पर तो कहीं मूंछे रखने और घोड़ी पर चढ़ने के नाम पर यातनाएं देकर लोगों को मौत के घाट उतारा जा रहा है। जगदीश इंदलिया ने कहा कि दलितों पर अत्याचार के ज्यादातर मामलों में सामाजिक दबाव डालकर एवं डरा धमकाकर केस वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया जाता है अथवा जबरदस्ती एफआर लगा दी जाती है।
अधिकतर मामलों में जानबूझकर अभियुक्तों को गिरफ्तार नहीं किया जाता। उन्होंने सुराणा गांव की घटना पर दुख व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि वे उनका त्यागपत्र स्वीकार करें।
इसी प्रकार पंचायत समिति रायसिंहनगर के सदस्य किशोर बारूपाल एडवोकेट ने भी इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने भी जिला परिषद डायरेक्टर जगदीश इंदलिया के त्याग पत्र में अंकित दलित वर्गों पर अत्याचार संबंधी पंक्तियों का उल्लेख करते हुए प्रदेश सरकार से मांग की है कि सुराणा गांव के मारे गए बालक के परिवार वालों को 50 लाख की मुआवजा राशि और उसके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।
इस बीच कांग्रेस के एक और नेता कालूराम मेघवाल ने जिला स्तरीय एक सरकारी समिति की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।