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भजन लाल परिवार का सियासी तिलस्म तोडऩे को ‘आप’ आतुर

सिरसा 11 सितंबर : एक समय था जब हरियाणा में लालों की राजनीति का डंका बजता था। देवीलाल,भजन लाल व बंसी लाल ने लंबे समय तक हरियाणा में शासन किया मगर इन तीनों नेताओं के दुनियां से चले जाने के बाद परिवारों में पनपा सियासी विरासत का कलह इनके दलों को ले डूबा। आज स्थिति यह है कि तीनों ही लालों के परिवार अपनी सियासी विरासत बचाने को तिलमिला रहें हैं।

इन हालातों के बीच आम आदमी पार्टी (आप) ने हरियाणा में दस्तक देते हुए आदमपुर विधानसभा क्षेत्र में भजन लाल परिवार के आधी सदी के तिलस्म तोडऩे को आतुर हो एक सभा कर अपनी ताल भी ठोक दी है। अब आदमपुर में तीसरा उप चुनाव इस क्षेत्र की जनता देखेगी।

हरियाणा के अस्तित्व में आने के बाद से आदमपुर विस सीट पर भजन लाल परिवार का ही कब्जा रहा है। वर्ष 1968 से अब तक 14 बार चुनाव हुए जिनमें दो बार 2008 व 2012 में उप-चुनाव हुए। इस सीट पर भजन लाल नौ बार,कुलदीप बिश्नोई तीन बार जबकि जसमा देवी व रेणुका बिश्नोई एक-एक बार विधायक चुनी गई। कुलदीप बिश्नोई के कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी का दामन थामने के वक्त पिछले माह इस सीट से इस्तीफा देने से यह सीट एक बार फिर खाली होने से तीसरा उप चुनाव इस क्षेत्र की जनता देखेगी। इस सीट पर भजन लाल परिवार के आधी सदी के तिलस्म को तोडऩे के लिए आम आदमी पार्टी ने हुंकार भरी है। बीती आठ सितंबर को आदमपुर में एक सभा कर ‘आप’ संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हुंकार भरी है कि वे इस गढ़ को ढहाएंगे। आदमुपर के द्वार वे हरियाणा की सियासत पर काबिज होंगे। दो दिवसीय हरियाणा भ्रमण के दौरान जहां श्री केजरीवाल युवाओं से मुखातिब हुए वहीं सोनाली फोगाट के परिजनों से मिलकर सांत्वना देकर सहानुभूति भी बटोरी।

गौरतलब है कि वर्ष 2005 में कांग्रेस को सत्ता पर काबिज होने का मौका मिला। चुनाव भजन लाल के नेतृत्व में हुआ मगर पार्टी में आपसी कलह के चलते सत्ता की कमान रोहतक के सांसद भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सौंप दी गई। पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल ने खफा होकर कांग्रेस पार्टी से बगावत कर दो दिसंबर 2007 को नये क्षेत्रिय दल हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) (बी एल) का गठन कर लिया।

2009 के आम चुनाव में हजकां ने 87 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे मगर सात ही लोग विधानसभा में पहुंच पाए। भाजपा 90 सीटों पर लड़ी मगर मात्र चार विधायक ही बना पाई। कांग्रेस 40 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर विधानसभा पहुंची मगर बहुमत के आंकड़े को पूरा करने के लिए हजकां के पांच विधायकों में सेंधमारी कर ली जिससे कुलदीप बिश्नोई व उनकी धर्मपत्नि रेणुका बिश्नोई ही शेष बचे। भजन लाल के स्वर्ग सिधारने के बाद जनवरी 2016 में कुलदीप बिश्नोई ने अपनी पार्टी हजकां का कांग्रेस में विलय कर पुन:घर वापसी कर ली। कांग्रेस ने वर्ष 2019 में कुलदीप बिश्नेाई के बेटे भव्य बिश्नोई को हिसार सीट से उम्मीदवार बनाया जबकि वह हार गए इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में कुलदीप बिश्नोई आदमपुर से विस चुनाव लड़े ओर जीत गए। पिछले माह कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस व विधायक पद छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया,जिससे अब आदमपुर में फरवरी 2023 से पहले उप-चुनाव होगा।

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