उत्तर प्रदेश

पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी का निधन

प्रयागराज,08 जनवरी : पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल और उत्तर प्रदेश के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पंडित केशरी नाथ त्रिपाठी का रविवार को उनके निवास पर निधन हो गया।

वह 89 वर्ष के थे और पिछले कुछ दिनो से अस्वस्थ चल रहे थे। पिछली 30 दिसंबर को उन्हे प्रयागराज के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्री त्रिपाठी के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुये कहा कि केशरी नाथ त्रिपाठी एक वरिष्ठ और अनुभवी राजनेता थे। वे संसदीय नियमों, परंपराओं और विधि के गहरे जानकार थे। श्री त्रिपाठी एक विद्वान अधिवक्ता और संवेदनशील साहित्यकार भी थे। उनके निधन से समाज की अपूरणीय क्षति हुई है। मुख्यमंत्री ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शान्ति की प्रार्थना करते हुए शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महानगर अध्यक्ष महेश केसरवानी ने बताया कि श्री त्रिपाठी का दाह संस्कार शाम चार बजे दारागंज श्मशान घाट पर किया जाएगा। कोविड काल के दौरान श्री त्रिपाठी दो बार कोरोना पॉजिटिव हुए थे। लखनऊ के एसजीपीजीआई में उनका लंबा इलाज चला था।

कुछ दिन पहले ही वह बाथरूम में फिसलकर गिर गए थे, जिससे उनका दाहिना हाथ फ्रैक्चर हो गया था। उसी के बाद से वह शारीरिक रूप से कमजोर होते गए।

पंडित त्रिपाठी का जन्म 10 नवंबर 1934 को हुआ था। वह भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रहने के साथ ही विधानसभा के स्पीकर भी रह चुके थे। श्री त्रिपाठी 2014 से 2019 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल की जिम्मेदारी भी निभाई। इसके साथ ही उनके पास बिहार, मिजोरम और मेघालय के राज्यपाल का भी प्रभार था।

श्री त्रिपाठी 1946 में स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े। 1952 में भारतीय जनसंघ से जुड़कर कार्यकर्ता के रूप में कार्य किया। कश्मीर आंदोलन में भाग लेते हुए जेल भी गए। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के कारण 1990 में 23 अक्टूबर से 10 नवम्बर तक जेल में बंद थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1953 में स्नातक करने और 1955 में एलएलबी की परीक्षा पास की। उसके बाद 1956 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए। इलाहाबाद बार एसोसिएशन के 1956 में संयुक्त सचिव चुने गये।

श्री त्रिपाठी 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर झूसी विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए और उत्तर प्रदेश सरकार में वित्त एवं बिक्री कर मंत्री रहे। वह वर्ष 1989, 93, 96 और 2002 में भाजपा से शहर दक्षिणी विधानसभा से लगातार उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष बने। वर्ष 2004 में भाजपा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष बने।

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