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हरियाणा में एचईईपी-2020 के तहत रोजगार सृजन सब्सिडी में वृद्धि

चंडीगढ़, 05 अप्रैल : हरियाणा सरकार ने राज्य के स्थानीय युवाओं को निवेश के प्रति आकर्षित और रोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए हरियाणा उद्यम और रोजगार नीति (एचईईपी)-2020 के तहत कर्मचारी रोजगार सृजन सब्सिडी 36000 रुपए से बढ़ाकर 48,000 रुपए तक करने का निर्णय लिया है जो बी, सी और डी ब्लॉक में हर साल हर कर्मचारी के लिए 10 साल तक लागू रहेगी।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई। मंत्रिमंडल ने एसजीएसटी प्रतिपूर्ति और निवेश सब्सिडी कुल 50 प्रतिशत पर कैपिंग करने को भी मंजूरी दी बशर्ते निवेशक ने कुल एसजीएसटी का 50 प्रतिशत भुगतान कर दिया हो। एसजीएसटी दर और रोजगार सृजन सब्सिडी में बदलाव उन इस उद्योगों पर लागू कर दिया गया है, जो गत एक अप्रैल को या उसके बाद वाणिज्यिक उत्पादन कर रहे हैं।

बैठक में सरकारी कर्मचारियों, पेंशनधारकों और उनके आश्रितों को बड़ी राहत देते हुए आयुष चिकित्सा प्रतिपूर्ति नीति का मसौदा तैयार किया है, जिसका उद्देश्य सभी लाभार्थियों तक इसके पहुंचा कर आयुष प्रणाली का उत्थान करना है। चूंकि इन लाभार्थियों में से अधिकांश आयुष चिकित्सा पद्धति के तहत अपना इलाज करा रहे हैं, लेकिन सूचीबद्ध आयुष अस्पताल नहीं होने के कारण उन्हें अपने बिलों की प्रतिपूर्ति कराने कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था, जिनके मद्देनजर नीति का मसौदा तैयार किया गया है, जिसमें एनएबीएच प्रमाणपत्र वाले सभी सरकारी आयुष संस्थान और निजी आयुष अस्पतालों को इस नीति के तहत सूचीबद्ध किया जाएगा। इससे आयुष निजी चिकित्सक भी अपने अस्पतालों को सूचीबद्ध करा सकेंगे। सूचीबद्ध अस्पतालों में सरकारी कर्मचारी, पेंशनभोगी और उनके आश्रित इंडोर दाखिल होकर इलाज करा सकेंगे।

मंत्रिपरिषद ने सोनीपत मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एसएमडीए) सोनीपत, 2023 विधेयक के मसौदे को भी मंजूरी प्रदान की जिसका उद्देश्य सोनीपत मेट्रोपॉलिटन एरिया के शासन के लिए मौजूदा संस्थागत ढांचे और विकास प्रक्रिया को मजबूत करना है।
बैठक में हरियाणा स्वैच्छिक राज्य शिक्षा सेवा (संशोधन) नियम-2021 में संशोधन को भी मंजूरी प्रदान की गई। सरकार ने सहायता प्राप्त विद्यालयों के कर्मचारियों को नौ अगस्त, 2017 को अधिसूचित हरियाणा स्वैच्छिक राज्य शिक्षा सेवा नियम, 2017 के तहत अपने अधीन ले लिया था। उनकी पेंशन हरियाणा सहायता प्राप्त स्कूल (विशेष पेंशन एवं अंशदायी भविष्य निधि) नियम, 2001 के तहत दी गई थी।
मंत्री परिषद ने लाइसेंसशुदा कॉलोनियों में फेजिंग के लिए नीति तथा ले-आउट प्लान और बिल्डिंग प्लान के पुनरीक्षण हेतु दो-तिहाई आवंटियों से सहमति लेने को स्वीकृति प्रदान की। इस नीति का उद्देश्य ले-आउट और भवन नक्शों के संशोधन से जुड़े मामलों में आपत्तियां, सुझाव आमंत्रित करने और आबंटियों की सहमति लेने की आवश्यकता के संदर्भ में मुद्दों और प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना है। नीति का लक्ष्य वर्तमाल लाईसैंसों पर उठ रहे अधिकांश विवादों का समाधान करने के साथ-साथ लेआउट प्लान को संशोधित करना है। बैठक में अधिनियम 1975 की धारा 8 के तहत कम घनत्व वाली पर्यावरण के अनुकूल कॉलोनियों को योजना अनुसार विकसित करने व लाइसेंस प्रदान करने के लिए नीति में संशोधन करने की स्वीकृति प्रदान की है।

बैठक में बकाया लाइसेंस नवीनीकरण शुल्क और उस पर लागू ब्याज जमा करने में चूक करने वाले कॉलोनाइजरों को राहत देते हुए हरियाणा ने अपनी तरह की एक और एकमुश्त समाधान योजना ‘विवादों का समाधान’ की शुरुआत की है। यह योजना इसकी अधिसूचना से छह महीने की अवधि के लिए खुली रहेगी। हरियाणा विकास एवं शहरी क्षेत्रों के नियमन नियम, 1976 के नियम 13 के अनुसार लाइसेंसधारी को लाइसेंस की वैधता अवधि के भीतर विकास कार्यों को पूरा करने में विफल रहने पर लाइसेंस का नवीनीकरण कराना होता है। लाइसेंसधारी को लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए प्रस्तुत करने में विलम्ब या घाटे के नवीनीकरण शुल्क के मामले में 18 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज शुल्क का भुगतान करना पड़ता है। अब ऐसे विलंबों को विलंबित अवधि के लिए 18 प्रतिशत प्रति वर्ष के बराबर शुल्क चार्ज कर संयोजन नीति के अनुसार संयोजित किया जाता है। इसलिए, आवंटी के हितों की रक्षा के लिए, विवाद का समाधान पेश किया गया है। यह एकमुश्त राहत नीति, जिसे ईडीसी राहत नीति ‘समाधान से विकास’ की तर्ज पर तैयार किया गया है।

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