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मनोरंजन-शत्रुघ्न जन्मदिन दो अंतिम मुंबई

फिल्म मेरे अपने की सफलता के बाद पारस,गैंबलर ,भाई हो तो ऐसा,रामपुर का लक्षमण,ब्लैकमेल जैसी फिल्मों में मिली कामयाबी के जरिये शत्रुघ्न सिंहा दर्शको के बीच अपने अभिनय की धाक जमाते हुये ऐसी स्थिति में पहुंच गये,जहां वह फिल्म में अपनी भूमिका स्वयं चुन सकते थे ।इस बीच फिल्मकारों ने शत्रुघ्न सिन्हा की लोकप्रियता को देखते हुये उन्हें बतौर अभिनेता अपनी फिल्मों के लिये साइन करना शुरू कर दिया ।वर्ष 1976 में सुभाष घई के बैनर तले बनी फिल्म वह पहली फिल्म थी जिसमें शत्रुघ्न सिन्हा की अदाकारी का जादू दर्शकों के सर चढ़कर बोला ।फिल्म में अपनी जबरदस्त संवाद अदायगी और दोहरी भूमिका में शत्रुघ्न सिंहा ने अभिनेता के रूप में भी अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे ।

वर्ष 1978 में शत्रुघ्न सिंहा के करियर की एक और सुपरहिट फिल्म विश्वनाथ प्रदर्शित हुयी ।सुभाष घई के बैनर तले बनी इस फिल्म उन्होंने एक वकील का दमदार किरदार निभाया था ।यूं तो इस फिल्म में शत्रुघ्न सिन्हा के बोले गये कई संवाद लोकप्रिय हुये लेकिन उनका बोला यह संवाद जली को आग कहते है बुझी को खाक कहते हैं,जिस खाक से बारूद बने उसे विश्वनाथ कहते हैं,दर्शकों के बीच खासे लोकप्रिय हुये और आज भी उसी शिद्दत के साथ श्रोताओं के बीच सुने जाते है ।

अस्सी के दशक में शत्रुघ्न सिन्हा पर आरोप लगने लगे कि वह केवल मारधाड़ और एक्शन से भरपूर किरदार ही निभा सकते है लेकिन उन्होंने वर्ष 1981 में ऋषिकेष मुखर्जी निर्देशित फिल्म नरम गरम में लाजवाब हास्य अभिनय से दर्शकों को रोमांचित कर दिया । इस फिल्म से जुड़ा एक रोचक तथ्य यह भी है इस फिल्म मे उन्होंने एक गानें में अपनी आवाज भी दी । फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाने के बाद शत्रुघ्न सिन्हा ने समाज सेवा के लिए राजनीति में प्रवेश किया और भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से लोकसभा सभा सदस्य बने और स्वास्थ्य और जहाजरानी मंत्रालय का कार्यभार संभाला ।शत्रुध्न सिन्हा ने तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर आसनसोल लोकसभा का चुनाव जीता है।

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