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मौलाना मदूदी के साहित्य पर लगे प्रतिबंध : विहिप

नयी दिल्ली 29 जुलाई : विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) और जामिया मिलिया विश्वविद्यालय (जेएमयू) में इस्लामिक अध्ययन पाठ्यक्रम में पिछली सदी के अलगाववादी नेता मौलाना मदूदी की किताबें पढ़ाये जाने पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए सरकार से ना केवल मौलाना मदूदी बल्कि हर प्रकार के अलगाववादी विचारों को बढ़ावा देने वाली किताबें प्रतिबंधित करने की मांग की है।

विहिप के संयुक्त महामंत्री सुरेन्द्र जैन ने आज यहां एक बयान में कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि एएमयू और जेएमयू में इस्लामिक अध्ययन के पाठ्यक्रम में मौलाना मदूदी की किताबें पढ़ायी जा रहीं हैं। ये वही मौलाना मदूदी हैं जिन्होंने 1925 में देश भर में अलगाववाद की लहर जगायी थी और मोहम्मद अली जिन्ना, बगदादी और तालिबानी भी उनसे प्रेरित रहे हैं।

श्री जैन ने कहा कि विश्व के आतंकवादी इनके साहित्य से प्रेरणा लेकर गैर मुसलमानों का कत्लेआम करते हैं। मौलाना मदूदी किसी भी देश के संविधान और कानून से ऊपर शरीया को मानते हैं। इसलिए इनकी लिखी किताबें किसी भी विश्वविद्यालय या शिक्षण संस्थान में पढ़ायी जाएंगी तो क्या स्थिति बनेगी। उन्होंने कहा कि देश की जनता के पैसे से चल रहे ये विश्वविद्यालय पहले ही अलगाववादी गतिविधियों के केन्द्र बने हुए हैं। एएमयू में पहली बार ‘सर तन से जुदा’ का नारा गूंजा था।

विहिप नेता ने कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकारों को सख्ती बरतते हुए ना केवल मौलाना मदूदी बल्कि अन्य सभी अलगाववादी तत्वों के साहित्य को प्रतिबंधित करना चाहिए ताकि एएमयू एवं जेएमयू जैसे शिक्षण संस्थान अलगाववाद का अड्डा नहीं बनें।

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