उत्तर प्रदेश

सहकारी समितियां हुईं बहुउद्देशीय घोषित,हर व्यवसाय कर आर्थिक रुप से होंगी मजबूत

हमीरपुर 22 जनवरी: उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को रीढ़ कही जाने वाली सहकारी समितियों को आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर बनाने के लिये इन्हे बहुउद्देशीय समितिया घोषित कर दिया है,समितियां सहकारी बैंक से ऋण लेकर हर प्रकार का व्यवसाय कर सकेंगी। शासन ने हर जिले से समितियों की रिपोर्ट मांग ली है,अब संबंधित अधिकारियों को प्रशिक्षण देने की तैयारी की जा रही है।

सहकारिता विभाग के सहायक निबंधक(एआर) रामसागर चौरसिया ने आज बताया कि सहकारिता किसानों की मेरुदंड कहा जाता है किसानों को ऋण से लेकर उर्वरक व बीज यही से प्राप्त होता है। मगर पूरे प्रदेश में धीरे धीरे सहकारी समितियों का नमोनिशान मिटता जा रहा था जिससे शासन ने सहकारी समितियों को बहुउद्देशीय समितियां घोषित कर दिया है। अब समितियो के सचिव व अन्य स्टाफ बैंक से पर्याप्त ऋण लेकर ग्रामीण क्षेत्र के अनुसार कोई भी व्यवसाय कर सकेगी ताकि स्टाफ को वेतन मिलने के साथ साथ समितियों का आर्थिक ढांचा मजबूत हो सके।
जिले में 46 सहकारी समितियां संचालित है जिनकी आर्थिकस्थिति बेहद खराब है,सचिवों व अन्य कर्मियों को वेतन कई कई महीनों तक नही मिल पाता है जब खाद विक्री का समय आता है उसी समय समितियों को होने वाली
बिक्री के लाभांश से वेतन व अन्य आर्थिक समस्या का समाधान हो जाता है,इसके वाद सालभर धनाभाव से जूझना पड़ता है।
बहुत पहले हर एक समितियों में मिनी बैंक किसानों के लिये स्थापित किये गये थे वह सब समाप्त हो चुके ,जिससे किसान अब अपनी छोटी छोटी बचत भी जमा करने के लिये बैंको का सहारा लेता है। एआर श्री चौरसिया ने बताया कि

ज्यादातर समितिया एकदम जर्जर हो गयी थी जिसमे करीब बीस समितियों को आईसीडीसी ने मरम्मत कार्य कराया है जिसमे करीब डेढ़ करोड रुपये से ज्यादा खर्च हुआ है यह पैसा भी संबंधित समितियों को ऋण के रुप में नाबार्ड को अदा
करना पडेगा।
एआर ने बताया कि शासन इसके लिये रुपरेखा तैयार कर रहा है। अभी हाल ही में जिलेवार संबंधित अधिकारियों की बैठक उच्चाधिकारियों के साथ हो चुकी है जिसमे विभागीय अधिकारियों से सहकारिता के बारे में पूरी जानकारी ली गयी थी,इसके लिये शासन ने प्रशिक्षण देने का भी फैसला किया है,ताकि सभी समितिया मुनाफे का व्यवसाय कर सके और उनको आर्थिक रुपसे मजबूत बनाया जा सके।

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