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देशी पशुओं की नस्ल पहचान का काम पांच साल में होगा पूरा

नयी दिल्ली,16 फरवरी : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप-महानिदेशक (पशु विज्ञान) बी एन त्रिपाठी ने गुरुवार को कहा कि अगले पांच-छह वर्षों में देशी पशु-पक्षियों के नस्लों की पहचान कर ली जायेगी जिससे उन्हें आनुवांशिक रूप से संरक्षित और संवर्धित किया जा सकेगा जिसका पूरा लाभ किसानों को मिलेगा।

डॉ त्रिपाठी ने पशुधन नस्ल पंजीकरण प्रमाण पत्र वितरण समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि देशी नस्ल के करीब आधे पशुओं की नस्ल की पहचान कर उनका पंजीयन कर लिया गया है। अब तक कुल 212 देशी पशुओं की पहचान कर उनका पंजीयन किया गया है। देशी पशुओं की नस्ल पहचान के लिए देश में मिशन मोड में अभियान चलाया जा रहा है। पिछली बार नस्ल के अनुसार पशु गणना भी की गयी थी।

उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में पशु फार्म नहीं हैं जो चिंताजनक है। कुछ राज्य धन के अभाव के कारण पशु फार्म नहीं होने की बात करते हैं। एक जीवन दूसरे जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। एक जीवन दूसरे जीवन को बचाता है। पशुधन पोषण के माध्यम से मानव की सुरक्षा करता है। उन्होंने कहा कि लोग पशुओं का कई प्रकार से उपयोग कर उससे लाभ उठाते हैं।

डाॅ त्रिपाठी ने कहा कि पशुओं के नस्लों की पहचान और उसके दस्तावेजीकरण से उसका आनुवांशिक रुप से संरक्षण और संवर्धन किया जा सकेगा, जिसका वास्तविक लाभ किसानों को मिलेगा। जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर देशी पशुधन बहुत ही महत्वपूर्ण हो गया है। उन्होंने कहा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ-साथ राज्यों के कृषि विश्वविद्यालय, सरकारी संस्थान तथा गैर सरकारी संस्थान देशी पशुओं के नस्ल पहचान की कार्य में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि पशुओं की 38 नस्लें संकटग्रस्त स्थिति में हैं।

कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने इस अवसर पर कहा कि पशुओं के नस्ल पंजीकरण से सरकार उसके लिए नीतियां बना सकेगी तथा उनके नस्लों में सुधार किया जा सकेगा, जिससे अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। पशुधन नस्ल पहचान का काम वर्ष 2008 में शुरू किया गया था।

श्री तोमर ने कहा कि देश में पशुओं के नस्ल की विविधता है जबकि कई देशों में औद्योगीकरण के कारण पशुओं के नस्लों की विविधता नहीं है। संयुक्त राष्ट्र की एफएओ ने भारतीय पशुओं की नस्ल विविधता की सराहना की है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन के विकास में कृषि महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें पशुपालन बहुत बड़ी आबादी की आजीविका का साधन है। उन्होंने कहा कि देश में कई पशु जलवायु परिवर्तन के अनुकूल है, इसके कारण पशुओं के नस्लों की पहचान का काम अति महत्वपूर्ण हो गया है।

पिछले तीन साल के दौरान जिन 28 पशुधन के नस्ल की पहचान की गई है, उनमें 10 गाय, सुअर की पांच, भैंस की चार, बकरी और कुत्ते की तीन-तीन, भेड़, गधा और बतख की एक-एक नस्ल शामिल है। वर्ष 2021 में पहली बार कुत्ते की नस्ल की पहचान की गई थी। ये सभी पशुधन 16 राज्यों में मिले हैं।

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