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कांग्रेस ने हमेशा किया लोकहित का काम : खड़गे-राहुल

नयी दिल्ली, 28 दिसंबर : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को पार्टी के 138वें स्थापना दिवस पर बधाई देते हुए कहा कि कांग्रेस ने शुरू से ही जनहित का काम किया है और जिस प्रगति का लाभ देश को मिल रहा है उसकी बुनियाद में कांग्रेस का ही योगदान है।

दोनों नेताओं ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा लोगों की भलाई एवं प्रगति के लिए काम किया है और संविधान में निहित राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक अधिकारों तथा सबको समानता का अवसर देने में विश्वास करती है।
श्री गांधी ने ट्वीट किया “मुझे गर्व है, मैं ऐसे संगठन का हिस्सा हूं जिसने हर परिस्थिति में सत्य, अहिंसा और संघर्ष का रास्ता चुना और हर कदम हमेशा लोकहित में उठाया है।”

श्री खड़गे ने बाद में यहां पार्टी मुख्यालय में कांग्रेस स्थापना की 138वीं सालगिरह पर आयोजित समारोह में कहा कि आज ही के दिन 28 दिसंबर 1885 को मुम्बई में कांग्रेस पार्टी की नींव रखी गई थी। आज़ादी के बाद कांग्रेस पार्टी ने 75 वर्षों के सफ़र में आधुनिक भारत की सफलता की इबारत लिखी है। इस अवसर पर उन्होंने सेवादल के 100 साल पूरे होने पर संगठन की कार्यकर्ताओं को भी बधाई दी।
उन्होंने कहा “भारत की आज़ादी के आसपास कई दूसरे देश भी आज़ाद हुए थे। लेकिन बहुत से देश में सत्ता की बागडोर तानाशाही ने ले ली। भारत न सिर्फ़ सफल और मज़बूत लोकतंत्र बना बल्कि कुछ ही दशकों में हम आर्थिक, परमाणु, मिसाइल, रणनीतिक क्षेत्र में सुपर पॉवर बन गये। कृषि, शिक्षा, मेडिकल, आईटी और सेवा क्षेत्र में भारत, दुनिया के टॉप देशों में शामिल हो गया।”

श्री खड़गे ने देश की प्रगति की इस बुनियाद में कांग्रेस के योगदान को बताया और कहा, “ये सब अपने आप नहीं हुआ। यह कांग्रेस की लोकतंत्र में आस्था के कारण हुआ, सभी को साथ ले कर चलने की हमारी ऑडियोलॉजी के कारण ये सब कुछ हुआ, ज्ञान-विज्ञान में हमारे विश्वास के चलते हुआ। उस संविधान में पूरी आस्था की वजह से हुआ, जो सबको बराबरी के अधिकार और बराबरी के मौक़े देने को गारंटी देता है।”

उन्होंने कहा कि आज़ाद भारत आगे बढ़ा क्योंकि कांग्रेस ने गरीब, वंचित, दलित समुदायों की हज़ारों सालों की ज़ंजीरें काटने का साहस दिखाया। आज़ादी को हर नागरिक तक पहुँचाने का दृढ़ सकल्प लिया और उस दिशा में आगे बढ़ने की ईमानदारी के साथ कोशिश की।
कांग्रेस नेता ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने राजनीति को सत्ता की परिक्रमा के रूप में नहीं देखा बल्कि उन्होंने देश मे सामाजिक सुधार, छूआछूत के विरोध, आर्थिक स्वावलंबन, बराबरी के अधिकार, सांप्रदायिकता के विरोध, पुरुष प्रधानता के विरोध जैसे विषयों को रोज़मर्रा की राजनीति से जोड़ दिया था।

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