उत्तर प्रदेश

राधा अष्टमी पर ब्रजमंडल में ‘डार डार अरू पात पात’ में राधे राधे की गूंज

मथुरा, 31 अगस्त : उत्तर प्रदेश की कृष्ण नगरी मथुरा सहित समूचे ब्रजमण्डल में जिस जोश खरोश से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है, उतने ही जोश खरोश से राधाष्टमी मनाई जाती है। राधा अष्टमी पर तो समूचे ब्रजमण्डल में ‘डार डार अरू पात पात’ में राधे राधे की प्रतिध्वनि गूंजती है। इस साल चार सितंबर को राधा अष्टमी मनायी जायेगी।

मदनमोहन मन्दिर एवं मथुराधीश मन्दिर जतीपुरा के मुखिया ब्रजेश जोशी ’ब्रजवासी’ ने बुधवार को बताया कि पुराणों में भगवान श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। साथ ही राधारानी का अवतरण लक्ष्मी के रूप में हुआ था। ब्रज में तो यह भी कहा जाता है कि राधा के बिना कृष्ण नहीं हैं और कृष्ण के बिना राधा नही हैं। ब्रज के कुछ मन्दिरों में तो राधा और कृष्ण के बारे में कहा जाता है कि वे एक स्वांस दो गात हैं तथा एक दूसरे के पूरक हैं।

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक राधा का जन्म यद्यपि उनके ननिहाल रावल में हुआ था, पर उनका अधिकांश समय बरसाने में बीता। इसलिए बरसाना और राधारानी एक दूसरे के पर्यायवाची बन गए। वैसे बरसाना हो या नन्दगांव अथवा वृन्दावन या ब्रज का अन्य तीर्थ, राधा भक्त सदैव अपने ऊपर राधा की कृपा का अनुभव करते हैं।

बरसाना में लाड़ली मन्दिर के सेवायत के अनुसार राधा अष्टमी पर लाड़ली मन्दिर इस बार 3 सितंबर की रात 12 बजे से मूल शांति का कार्यक्रम शुरू हो जाएगा। चूंकि राधाजी का जन्म मूल नक्षत्र में हुआ था। इसलिए 27 कुओं के जल, 27 पेड़ों की पत्ती, 27 स्थान की मिट्टी, पंच मेवा, अनाज, सवा मन दूध, सवा मन दही, घी, शहद, बूरा, औषधियों आदि के प्रयोग के साथ पहले मूल शांति होती है और फिर पांच बजे से अभिषेक होता है। 4 सितंबर को पूर्वान्ह 10 बजे से पालना दर्शन होंगे तथा शाम को मन्दिर में ही राधा जी की सवारी निकलेगी।

मंदिर के सेवायत के अनुसार इसके बाद रासलीला का कार्यक्रम शुरू होता है। इस अवसर पर 05 सितंबर को मोरकुटी में, 06 को बिलासगढ़, सात को सांकरी कोर में चोटी बंधन लीला और बरसाना कस्बे में माखनचोरी लीला तथा इसी शाम को गाजीपुर में नौकाविहार लीला, 8 सितंबर को ऊंचागांव में ललिता जी की विवाह लीला और शाम को प्रियाकुंड में नौका विहार, 09 सितंबर को उस्मानी मन्दिर में राधारानी का छठी पूजन तथा सांकरीखोर में दान लीला, 10 सितंबर को कदमखण्डी में रासलीला तथा अगले दिन करेहला में महारास होगा।

उधर, वृन्दावन के मन्दिरों में राधा बल्लभ मन्दिर में गोस्वामी समाज का दधिकाना दर्शनीय होता है, वहीं राधा दामोदर मन्दिर में राधा जन्म की खुशी में सेवायत एक दूसरे पर हल्दी मिश्रित दही डालकर खुशी का इजहार करते हैं। इसी दिन वर्ष में एक दिन बांकेबिहारी मन्दिर में रासलीला होती है। मन्दिर से ही चाव निकलती है जो पूरे वृन्दावन में घूमती है।

वृन्दावन स्थित इस्कॉन मन्दिर में पूरी भक्ति भाव से राधाजन्मोत्सव मनाया जाता है। इसके अलावा केशवदेव मन्दिर श्रीकृष्ण जन्मस्थान में मुरलीमनोहर के विगृह को श्री राधा का स्वरूप दिया जाता है तो द्वारकाधीश मन्दिर में बड़े पैमाने पर राधा जन्मोत्सव मनाया जाता है। कुल मिलाकर राधाष्टमी पर व्रज का कोना कोना राधामय हो जाता है।

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