जम्मू-कश्मीर

पीड़ित को दिया जाए दो मंजिला वाणिज्यिक भवन पर कब्जा: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू, 08 दिसंबर : केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने एस.के. बख्शी बनाम पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और अन्य के मामले में ऐतिहासिक फैसले में कहा कि सरफेसी अधिनियम और नियमों के तहत बैंक द्वारा नीलाम की संपत्ति का न केवल याचिकाकर्ता वास्तविक हकदार है तथा अधिकारी द्वारा उसे संपत्ति पर कब्जा दिया जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति सिंधु शर्मा की अदालत ने ‘एस.के. बख्शी बनाम पीएनबी और अन्य’ मामले की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि नीलामी में बड़ी राशि का भुगतान करने के बावजूद याचिकाकर्ता को संपत्ति नहीं दी गई है।

उन्होंने अपने फैसले में कहा कि हालांकि संपत्ति का भौतिक कब्जा नीलामी करने से पहले लेने की आवश्यकता नहीं है, प्रतिवादी नीलामी खरीदार को संपत्ति का कब्जा सौंपने के अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हट सकता है।

उन्होंने कहा कि आम तौर पर बिक्री पूरी होने के बाद और कब्जा देने की प्रक्रिया पूरी होगी, लेकिन इस मामले में बिक्री प्रमाण पत्र में यह विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि संपत्ति में किसी को काेई आपत्ति नहीं है।

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि यह प्रतिवादी (बैंक) की जिम्मेदारी है कि वह संपत्ति से जुड़े मामले को निर्दिष्ट करे। जो उनके ज्ञान में था और ऐसा करने में विफल होने पर प्रतिवादी याचिकाकर्ता को संपत्ति का कब्जा प्रदान करने के लिए बाध्य है। न्यायालय ने यह भी कहा कि सुरक्षित संपत्ति खरीदने के लिए तीसरे पक्ष को यह विश्वास होना चाहिए कि उसे जल्द से जल्द संपत्ति का अधिकार मिल जाएगा। यदि स्वामित्व के जरिए संपत्ति के हस्तांतरण में देरी हो रही है, तो अधिनियम का उद्देश्य जो शीघ्र वसूली के लिए है, समग्र रूप से विफल हो जाएगा।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मनदीप रीन, प्रतिवादी (बैंक) की ओर से अधिवक्ता परवीन कपाही और निजी प्रतिवादियों (अतिचारियों) के लिए वकील सुमिर पंडिता को सुनने के बाद अदालत ने निर्देश दिया उपरोक्त सुनवाई के मद्देनजर याचिका स्वीकार की जाती है और प्रतिवादी (बैंक) शॉप साइट नंबर 20 के भूखंड पर निर्मित दो मंजिला व्यावसायिक भवन का कब्जा देने का निर्देश दिया जाता है।

Related Articles

Back to top button