उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश योगी शिक्षा दो अंतिम मथुरा

दीक्षांत समारोह के दौरान दिए गए दीक्षांत भाषण में मुख्यमंत्री ने सत्यं वद, धर्मं चर के मार्ग का अनुसरण करने पर जोर दिया और बताया कि सत्य बोलनेवाला किस प्रकार आगे बढ़ता चला जाता है। उनका कहना था कि अन्दर से और बाहर से अलग अलग व्यवहार करनेवाला व्यक्ति त्रिशंकु की तरह होता है और वह वास्तविक प्रगति से वंचित हो जाता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का कोई भी वाक्य तब प्रभावशाली बनता है, जब उसके आचार विचार में समन्वय होता है। जब व्यक्ति बोलता कुछ और करता कुछ है तब उसकी विश्वसनीयता संकट में होती है और जिसका स्वयं पर विश्वास न हो, उसपर समाज, देश और दुनिया कैसे विश्वास कर सकती है।
योगी ने धर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि भारतीय मनीषियों ने धर्म को कभी उपासना विधि के साथ जोड़कर नहीं देखा था और ना ही अपनी आस्था को कभी किसी पर थोपने का प्रयास किया था। उन्होंने ज्ञान के लिए सभी दिशाओं को खुला रखने एवं जहां से भी ज्ञान प्राप्त हो सके उसे ग्रहण करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उनका कहना था कि किसी एक ही ग्रंथ में दुनिया का सारा ज्ञान नही होता तथा जिन ग्रंथों से बेहतर ज्ञान मिलता है उनका अध्ययन किया जाना चाहिए।
इससे पहले उन्होंने विद्यार्थियो को विरासत से जुड़े रहने का आह्वान करते हुए समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया का जिक्र किया और कहा कि वे राम , कृष्ण एवं शिव को भारत के लोकजीवन के तीन आधारभूत स्तंभ मानते थे। जहां श्रीकृष्ण ने भारत को पश्चिम से लेकर पूरब तक जोड़ा वही राम ने उत्तर से दक्षिण को जोड़ा। उनका कहना था कि द्वादस ज्योतिर्लिंगों से देश की भौगोलिक एवं सांस्कृतिक सीमाओं का निर्धारण होता है। तीनों पर जब तक आस्था बनी रहेगी देश न केवल सुरक्षित रहेगा बल्कि उसका कोई बाल बांका नही कर सकेगा।
पूर्व में कुलाधिपति नारायणदास अग्रवाल ने दीक्षांत समारोह के प्रारंभ होने की घोषण की । योगी और उन्होंने कीर्तिमान स्थापित करनेवालों का सम्मान भी किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर जीएलए यूनिवर्सिटी में बनाए गए कौशल एवं उद्यमिता विकास केन्द्र का लोकार्पण भी किया। कैबिनेट मंत्री लक्षमीनारायण चैधरी, कैबिनेट मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय, कुलाधिपति नारायणदास अग्रवाल, उप कुलाधिपति प्रोच दुर्ग सिंह चौहान की उपस्थिति में आयोजित इस भव्य दीक्षांत समारोह में 4477 छात्रों को पीएचडी,561 को परास्नातक और 2085 को स्नातक की उपाधि से नवाजा गया।

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