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नागरी लिपि परिषद का राष्ट्रीय सम्मेलन डिब्रूगढ़ में

नयी दिल्ली 29 अक्टूबर: देवनागरी लिपि के प्रचार- प्रसार की संस्था नागरी लिपि परिषद अपना 45 वां अखिल भारतीय नागरी लिपि सम्मेलन नवंबर के पहले सप्ताह में असम के डिब्रूगढ़ में आयोजित करेगी।

नागरी लिपि परिषद के अध्यक्ष डॉक्टर प्रेमचंद पातंजलि और महामंत्री डॉक्टर हरिसिंह पाल ने शनिवार को यहां बताया कि परिषद का 45 वां अखिल भारतीय सम्मेलन चार और पांच नवंबर को डिब्रूगढ़ से लगभग 30 किलोमीटर दूर तेंगाखात में तेंगाखात महाविद्यालय में होगा। सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय श्रम और रोजगार राज्यमंत्री रामेश्वर तेली करेंगे।

डाॅ. पातंजलि ने बताया कि सम्मेलन का उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र की जनजातियों की बोलियों के लिए देवनागरी लिपि के प्रयोग को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में कई ऐसी बोलियां है जिनकी कोई लिपि नहीं है। इनके लिए देवनागरी लिपि का प्रयोग किया जा सकता है। सम्मेलन में इस दिशा में संभावनाएं तलाशी जाएंगी। उन्होंने कहा कि नागरी लिपि का प्रयोग दुनिया भर की लगभग 120 भाषाओं और बोलियों को लिखने में किया जा रहा है।

डाॅ. पाल ने बताया कि सम्मेलन में पूर्वोत्तर के नागरी लिपि विद्वानों के साथ साथ पुड्डचेरी, तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली और उत्तराखंड तथा नेपाल के नागरी सेवी भी भाग ले रहे हैं।

उन्होंने बताया कि कई विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के निदेशक सहित भारत सरकार के कई मंत्रालयों की हिंदी सलाहकार समितियों के सदस्य भी सम्मेलन में शामिल होंगे।

महामंत्री ने कहा कि यह पहला अवसर है जब असम के ग्रामीण क्षेत्र के महाविद्यालय में नागरी लिपि पर आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से संबद्ध केंद्रीय हिंदी निदेशालय, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा, साहित्य अकादमी नई दिल्ली, नेशनल बुक ट्रस्ट सहित अन्य संस्थाएं भी सहभागी बनी हैं।

सम्मेलन में देवनागरी के प्रचार प्रसार में उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया जाएगा। विद्यार्थियों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिस्पर्धा का भी आयोजन होगा।

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