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अगरतला हत्याकांड सभी छह आरोपियाें को सबूत के आभाव में बरी किया

अगरतला, 11 नवंबर : अगरतला की निचली अदालत ने एक सनसनीखेज हत्याकांड के सभी छह आरोपियों सबूतों के आभाव पर गुरुवार को बरी किया और त्रिपुरा पुलिस की जांच पर सवाल खड़े किए। सभी आरोपी अगरतला के वीआईपी जोन में अगस्त 2015 में शांता साहा (50) की हत्या के आरोपी थे।

इससे पहले 2015 में उच्च न्यायालय ने सबूतों के अभाव में एक स्थानीय दैनिक अखबार के वरिष्ठ संपादक को जुलाई 2013 में अखबार के कार्यालय में हुए हत्याकांड के मामले में सबूतों के आभाव पर बरी किया था।

पश्चिम त्रिपुरा की अतिरिक्त सत्र अदालत ने लंबी सुनवाई के बाद सभी छह आरोपियों- दीपजॉय साहा और बिटंजॉय साहा (मृतका के बेटे), दीपक साहा (मृतका के पति), सिमिता चक्रवर्ती (मृतका की भांजी), रणबीर लोध और कृष्णा डे (भाड़े के हत्यारे) को बरी कर दिया।
मृतका के पति दीपक साहा द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी के आधार पर पुलिस ने दीपजॉय साहा, बिटंजॉय साहा, रणबीर और कृष्णा को गिरफ्तार किया। बाद में पुलिस ने संदेह के आधार पर दीपक साहा और सिमिता चक्रवर्ती को भी गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के तीन महीने बाद पुलिस के आरोप पत्र के आधार पर उच्च न्यायालय से दीपक साहा और सिमिता चक्रवर्ती को जमानत मिल गई और सुनवाई शुरु हुई। पुलिस ने दावा किया कि मृतका के बड़े पुत्र दीपजॉय साहा का सिमिता के साथ नाजायज संबंध था जो शांता साहा को मंजूर नहीं था इसलिए उसने दीपजॉय को किसी अन्य से शादी करने का दबाव डाला।

कुछ दिनों बाद दीपजॉय अपनी पत्नी पर अत्याचार करने लगा और उसे अपने मायके जाने पर मजबूर किया और बाद में सभी छह लोगों ने मिलकर शांता साहा की हत्या कर दी।

मामले की लंबी सुनवाई के दौरान अदालत ने 39 गवाहों के बयान दर्ज किए और सबूतों की जांच की। फैसला सुनाते समय अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा है। इसलिए आरोपियों को सूबतों के आभाव पर बरी किया जाता है।

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