मायोसिटिस में कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा : विशेषज्ञ
कोच्चि 11 नवंबर : स्व-प्रतिरक्षा बीमारी ‘डर्माटोमायोजिटिस’ के मरीजों को कैंसर का तीन गुना खतरा होता है वहीं पॉलीमायोसिटिस के मरीजों को 40 फीसदी जोखिम का सामना करना पड़ता है।
त्रिशूर स्थित केरल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में विजिटिंग प्रोफेसर डॉ नरेश पुरोहित ने शुक्रवार को कहा कि मायोसिटिस के रोगियों में कैंसर का खतरा अधिक होता है।
पलक्कड़ स्थित करुणा द्वारा आयोजित ‘मायोपैथीज पोस्ट-कोविड’ पर एक वेबिनार में भाग लेने के दौरान प्रो पुरोहित ने कहा कि हाल के शोध अध्ययनों ने जोखिम का स्तर निर्धारित किया, जिसमें पाया गया है कि डर्माटोमायोसिटिस के रोगियों को कैंसर का तीन गुना जोखिम होता है, जबकि पॉलीमायोसिटिस के रोगियों को जोखिम में 40 प्रतिशत की वृद्धि का सामना करना पड़ता है।
उन्होने यूनीवार्ता से बातचीत में कहा,“दिलचस्प है कि कैंसर और मायोजिटिस अक्सर एक ही समय में प्रकट होते हैं। कैंसर का आमतौर पर मांसपेशियों की बीमारी के एक वर्ष के भीतर निदान किया जाता है, जबकि एक बीमारी की पुनरावृत्ति अक्सर दूसरे की पुनरावृत्ति को दर्शाती है। मायोसिटिस एक ऑटोइम्यून स्थिति है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली स्वयं शरीर की मांसपेशियों पर हमला करती है।”
इंडियन जर्नल ऑफ रुमेटोलॉजी के अनुसार प्रति एक लाख की आबादी पर इस तरह के मामलो की संख्या चार से 22 के बीच है। चिकित्सके के अनुसार यूं तो कई प्रकार के मायोजिटिस हैं मगर इनमे पॉलीमायोसिटिस और डर्माटोमायोसिटिस सबसे आम हैं।
मायोसिटिस का अनुभव सामान्यत: 40-50 वर्ष की उम्र में होता है। इस स्थिति से प्रभावित व्यक्ति मांसपेशियों में दर्द के कारण चलने में सक्षम नहीं हो सकता है। सामान्य मायोसिटिस मांसपेशियों को प्रभावित करता है, जो हाथ और पैर को हिलाते हैं। चिकनी मांसपेशियां, जो आंत या फेफड़ों में मौजूद होती हैं, आमतौर पर प्रभावित नहीं होती हैं, लेकिन विशेष मामलों में शामिल हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि मायोसिटिस हृदय की मांसपेशियों को भी प्रभावित कर सकता है जो जटिलता पैदा कर सकता है और जीवन को खतरा हो सकता है। चूंकि कंधे और कूल्हे क्षेत्र के आसपास की मांसपेशियां प्रभावित हो सकती हैं, इसलिए व्यक्ति चलने या सीढ़ियों पर चढ़ने या अपने सिर के ऊपर की वस्तु तक पहुंचने या किसी वस्तु को उठाने में सक्षम नहीं हो सकता।
प्रो पुरोहित के अनुसार, कई शोध अध्ययनों से पता चलता है कि मायोजिटिस एक आनुवंशिक बीमारी है जो निरंतर बढ़ रही है। वेबिनार में विशेषज्ञों ने कहा कि मायोजिटिस एक इलाज योग्य बीमारी है और उचित चिकित्सा ध्यान से इसे ठीक किया जा सकता है।