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संस्थान डिनोटिफाई मामले में सुनवाई 16 मई को

शिमला, 26 अप्रैल : हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के सत्तारूढ़ आने के बाद अनेक संस्थानों को डिनोटिफाई करने के फैसले पर अब अदालत में 16 मई को सुनवाई होगी।

उच्च न्यायालय ने इस तरह की सभी याचिकाओं को एक साथ सुनने के आदेश दिए हैं। कार्यवाहक न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने दोनों पक्षों को दस्तावेज पूरे करने के आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ता का आरोप है कि पिछली भारतीय जनता पार्टी सरकार ने जसवां प्रागपुर विधानसभा क्षेत्र के कोटला बेहड़ और रक्कड़ में उप दंडाधिकारी कार्यालय खोला था। लेकिन सरकार ने गत 12 दिसम्बर को आदेश जारी कर दोनों कार्यालय बंद कर
दिये। आरोप लगाया गया है कि नई सरकार में मंत्रिमंडल गठित किये बिना ही पिछली सरकार के फैसलों को रद्द कर दिया
गया।

याचिका में दलील दी गई कि सरकार के आदेश से मंत्रिमंडल के फैसले निरस्त करना गैर कानूनी है, जबकि, संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। याचिका में कहा गया है कि सरकार के गत 12 दिसम्बर के आदेश से अनेक लोगों का रोजगार छिन गया है। निगमों, बोर्डों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष,नामित सदस्यों और अन्य कमेटियों तथा शहरी निकायों में नामित सदस्यों की नियुक्तियां भी रद्द कर दी गईं। जिन अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले किए गए थे और उन पर भी अमल न किए जाने का निर्णय लिया गया था। याचिकाकर्ता का आरोप है कि सरकार द्वेष की भावना से कार्य कर रही है। याचिकाकर्ता ने सरकार के 12 दिसम्बर का आदेश रद्द करने की गुहार लगाई है।

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