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ईको सेंसिटिव जोन को लेकर हाईकोर्ट ने केन्द्र से मांगा जवाब

नैनीताल, 27 जुलाई: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राजाजी टाइगर रिजर्व (आरटीआर) की सीमा से सटे सिद्धबली स्टोन क्रेशर के मामले में केन्द्र और राज्य सरकार से आगामी 03 अगस्त तक शपथपत्र के माध्यम से जवाब देने को कहा है।

अदालत ने केन्द्र सरकार से पूछा है कि ईको सेंसटिव जोन के मामले में आरटीआर की वस्तुस्थिति वर्तमान में क्या है?
अदालत ने प्रदेश सरकार को भी निर्देश दिये कि जिस क्षेत्र में सिद्धबली स्टोन क्रेशर स्थापित है क्या वह पहाड़ी इलाका घोषित है या नहीं? साथ ही अदालत ने सभी पक्षकारों से कहा है कि वे अपने सुझाव अंतिम रूप से 03 अगस्त तक अदालत को लिखित रूप में दे दें। अदालत के रूख से साफ है कि वह इस मामले में जल्द ही दूध का दूध और पानी का पानी करेगी।

मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ की ओर से ये निर्देश कोटद्वार निवासी देवेन्द्र सिंह अधिकारी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद आज दिये गये हैं। राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि प्रदेश सरकार की ओर से आरटीआर को ईको सेंसटिव जोन अधिसूचति करने लिये केन्द्र सरकार को कुछ समय पहले एक ड्राफ्ट भेजा गया है।

राज्य सरकार की ओर से अदालत के समक्ष यह तथ्य भी पेश किया गया कि आरटीआर की सीमा से बाहर जिस गांव में यह स्टोन क्रेशर स्थापित है वह इलाका पहाड़ी क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इसके बाद अदालत ने केन्द्र और राज्य सरकार को दोनों मामलों में शपथपत्र के माध्यम से जवाब पेश करने को कहा है।

अदालत ने इस संवेदनशील मामले में कई दिनों की मैराथन सुनवाई के बाद लगभग सुनवाई पूरी कर ली है। अदालत सभी पक्षकारों की दलीलें सुन चुकी है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से भी प्रदूषण मानकों को लेकर दलीलें पेश की गयीं।

याचिकाकर्ता की ओर से 2019 में एक जनहित याचिका दायर कर सिद्धबली स्टोन क्रेशर के मामले को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि स्टोन क्रेशर मानकों के खिलाफ संचालित हो रहा है। स्टोन क्रेशर उच्चतम न्यायालय की गाइड लाइन को भी पूरा नहीं करता है। स्टोन क्रेशर आरटीआर के लगभग छह किमी की दायरे में है।

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