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करतारपुर साहिब में भारतीय सेना को कहा जा रहा है ‘सिख विरोधी’:कंवाली

अमृतसर,10 अक्टूबर : पाकिस्तान ने नरोवाल जिले में स्थापित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के बाहर मजार साहिब के ठीक बगल में स्थित कुएं के बाहर कांच के शोकेस में रखा बम के खोल को लेकर पाकिस्तान भारतीय सेना को सिख विरोधी और गुरुद्वारा साहिब पर हमला करने वाला बताया जा रहा है।

गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब की तीर्थ यात्रा पर जा रहे भारतीय सिख तीर्थयात्रियों ने कई बार भारतीय सेना द्वारा गुरुद्वारा साहिब परिसर से फेंके गए गोले की प्रदर्शनी को हटाने की मांग की है। पंजाबी हेरिटेज फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. सुरिंदर कौर कंवल ने कहा कि केन्द्र सरकार ने इस झूठे प्रचार को रोकने के लिए श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर के निर्माण के दौरान पाकिस्तान से इस बुलेट शेल को हटाने के लिए कहा था, जिसको लेकर पाकिस्तान ने कहा था कि यह एक दिनांकित चिह्न है जिसे किसी भी सूरत में गुरुद्वारा साहिब के बाहर से नहीं हटाया जाएगा।

डॉ. कंवल ने बताया कि गुरुद्वारा साहिब के बाहर ऐतिहासिक कुएं के ठीक बगल में बने पांच फुट ऊंचे टावर पर बने शीशे के शोकेस में रखे इस बम के शैल के बारे में गुरुमुखी, शाहमुखी और अंग्रेजी में लिखे ‘अकाल पुरख वाहेगुरु जी की सच्ची करामात’ शीर्षक के तहत दावा किया गया कि यह बम भारतीय वायु सेना द्वारा 1971 के युद्ध के दौरान गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब श्री करतारपुर साहिब को तबाह करने के लिए गिराया गया था। अकाल पुरख वाहेगुरु की विशेष कृपा से श्री खूह साहिब ने इस क्षेत्र को अपनी पवित्र गोद में ले लिया और बाबा गुरु नानक देव जी मेमोरियल गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब/समाधि (मजार) साहिब को विनाश से बचाया। उन्होंने कहा कि कहा जाता है कि उक्त बम का खोल 1971 के युद्ध के काफी समय बाद कुएं की सफाई के दौरान पाया गया था। पाकिस्तानी अधिकारी दावा कर रहे हैं कि भारत-पाकिस्तान युद्धों के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली टैंक रोधी खदानें करतारपुर कॉरिडोर के बरसती नाला डेक से कई बार बरामद हुई हैं।

वे सीमावर्ती इलाकों से यहां पहुंचते हैं और नाले का पानी सूख जाने पर उनकी पहचान हो जाती है। बताया जा रहा है कि गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब से आधा किलोमीटर से भी कम दूरी पर उक्त रेन ड्रेन डेक भारत से तहसील जफरवाल (जिला नरोवाल) में प्रवेश करती है।

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