बिजली बिल 2022 के विरोध में स्थायी समिति को दिया ज्ञापन:गुप्ता
जालंधर, 27 दिसंबर : ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) के प्रवक्ता वी के गुप्ता ने बिजली (संशोधन) विधेयक, 2022 का विरोध करते हुए मंगलवार को संसद की ऊर्जा स्थायी समिति को एक ज्ञापन भेज कर स्थायी समिति से उठाए गए बिंदुओं पर विचार करने का अनुरोध किया है।
श्री गुप्ता ने आने ज्ञापन में उपभोक्ताओं के विभिन्न वर्गों के हितों को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय पर पहुंचने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि संसद के मानसून सत्र में पेश किया गया विद्युत संशोधन विधेयक 2022 बिजली क्षेत्र के निजीकरण का एक माध्यम है। विधेयक का एकमात्र उद्देश्य कॉर्पोरेट और निजी कंपनियों को बिजली क्षेत्र में लानाऔर पूरी बिजली वितरण प्रणाली का निजीकरण करना है। बिल वितरण कंपनियों के साथ-साथ राज्य नियामक के लगभग सभी कार्यों को केंद्रीकृत करना चाहता है और बिजली आपूर्ति उद्योग और संविधान के संघीय ढांचे के चरित्र को बदलता है।
ज्ञापन में कहा गया है कि विद्युत संशोधन बिल 2022 का उद्देश्य कई कंपनियों को करदाताओं की कीमत पर विकसित राज्य डिस्कॉम के बुनियादी ढांचे का उपयोग किसी भी सेवा प्रदाता को चुनने के लिए प्रदान करना है। यह अप्रासंगिक है क्योंकि सेवा करने की लागत का भुगतान नहीं करने वाले उपभोक्ताओं की संख्या बहुत बड़ी है। अध्ययनों के अनुसार, 80 प्रतिशत से अधिक घरेलू उपभोक्ता और लगभग सभी कृषि उपभोक्ता सेवा करने के लिए लागत का भुगतान नहीं करते हैं।
विधेयक के अनुसार, केवल सरकारी डिस्कॉम के पास सार्वभौमिक बिजली आपूर्ति दायित्व होगा निजी लाइसेंसधारक वंचित और हाशिए पर पड़े समुदायों के बिनाऔद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति करना पसंद करेंगे। सुधारों के नाम पर भारत में एक असफल मॉडल पेश किया जा रहा है।
श्री गुप्ता ने ज्ञापन में दावा किया कि बिजली संशोधन विधेयक 2022 राज्य की वित्तीय स्थिति को कमजोर करेगा। इसका डिस्कॉम कर्मचारियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, इससे डिस्कॉम की वित्तीय स्थिति चरमरा जाएगी और सब्सिडी वाले उपभोक्ताओं पर भारी लागत का बोझ पड़ेगा।