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बेंगलुरु में बिलकिस बानों के दुष्कर्मियों की रिहाई के विरोध में प्रदर्शन

बेंगलुरु 27 अगस्त : कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में छात्रों और अधिकार कार्यकर्ताओं ने शनिवार को यहां फ्रीडम पार्क में बिलकिस बानों के साथ सामूहिक बलात्कार मामले में गुजरात की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के 11 दोषियों को रिहा करने के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया गया।

प्रदर्शनकारियों ने दोषियों की रिहाई की निंदा करते हुए तख्तियां लहराते हुए आरोप लगाया कि गुजरात सरकार देश में अल्पसंख्यकों को निशाना बना रही है।

गौरतलब है कि गुजरात सरकार ने 15 अगस्त को उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद सभी 11 दोषियों को छोड़ने की मंजूरी दी।

मुबंई में 21 जनवरी 2008 को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अदालत ने हत्या और सामूहिक बलात्कार मामले में 11 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इन पर 2002 में बिलकिस बानों के साथ सामूहिक बलात्कार का आरोप था। दोषियों ने पन्द्रह वर्ष से अधिक जेल में बिताये। इन पर बानों की मां और तीन अन्य महिलाओं के साथ भी सामूहिक बलात्कार करने का आरोप था।

वरिष्ठ अधिक्ता बी टी वेंकटेश ने फ्रीडम पार्क में पत्रकारों से कहा कि दोषियों की रिहाई असंवैधानिक है और ये इस जघन्य अपराध के लिए छूट के लायक नहीं हैं। उन्होंने भाजपा सहित राजनीतिक दलों से गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ आवाज उठाने का आग्रह किया।

गुजरात सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई। यह याचिका मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्य सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लौल और सामाजिक कार्यकर्ता और प्रोफेसर रूप रेखा वर्मा ने दायर की

देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की पीठ ने अधिवक्ता अपर्णा भट द्वारा बुधवार को मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग पर मामले को देखने के लिए सहमति व्यक्त की है।

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