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सिख राजनीतिक बंदियों की रिहाई के लिए छात्र संगठन ‘साथ’ ने निकाला मार्च

अमृतसर, 08 फरवरी : सिख राजनीतिक कैदियों की रिहाई के समर्थन में छात्र संगठन ‘साथ’ ने गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के परिसर में एक मार्च का आयोजन किया। मार्च विश्वविद्यालय के गुरुद्वारा साहिब से शुरू हुआ और परिसर के मुख्य द्वार पर समाप्त हुआ।
इस मार्च में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं शामिल हुए। एसजीपीसी की पहल का समर्थन करते हुए छात्रों ने भारत के राष्ट्रपति को दो हजार से अधिक आवेदन पत्र लिखे।

साथ के नेता जुजार सिंह ने मार्च को संबोधित करते हुए कहा कि दो अलग-अलग समानांतर न्यायिक प्रणालियां हैं जिनमें बहुसंख्यक समुदाय हर क्षेत्र में न्याय का आनंद ले रहा है जबकि अल्पसंख्यक राज्य के विभिन्न संस्थानों के हाथों पीड़ित हैं। इस देश में सिखों के लिए कोई न्याय नहीं है। उन्होने कहा कि सिख राजनीतिक कैदी अपराधी नहीं हैं और न ही उन्होंने अपने व्यक्तिगत मुद्दों के लिए लड़ाई लड़ी, उन्होंने सिख राष्ट्र के सामान्य कारण के लिए संघर्ष किया।

साथ सदस्य गुरविंदर सिंह ने कहा कि इस देश की न्याय व्यवस्था बलात्कारियों, हत्यारों, नरसंहार के दोषियों के प्रति नरम है। सत्तारूढ़ सरकार के कई सांसद नरसंहार, बम विस्फोटों में शामिल थे, डेरा सिरसा प्रमुख जैसे सरकार के समर्थक बहुत बार पैरोल का आनंद ले रहे थे, जबकि सिख राजनीतिक कैदियों को उनके माता-पिता के दाह संस्कार के लिए पैरोल नहीं दिया गया था।
छात्र संगठन साथ द्वारा आयोजित मार्च ने मोहाली के वाईपीएस चौक में चल रहे कौमी इंसाफ मोर्चा का समर्थन किया। मार्च में यूनाइटेड सिख स्टूडेंट फेडरेशन और एनएसयूआई के छात्र नेताओं ने भी हिस्सा लिया।

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