उमेश शर्मा मामला: निर्वाचन अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही संबंधी याचिका खारिज
नैनीताल, 02 सितम्बर : उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार खानपुर के निर्दलीय विधायक उमेश कुमार शर्मा के नामांकन में कथित लापरवाही बरतने के मामले में निर्वाचन अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने याचिका को पोषणीय नहीं माना।
हरिद्वार निवासी रवीन्द्र सिंह पनियाला की ओर से इस मामले को इसी साल शुरू में चुनौती दी गयी थी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने सुनवाई के बाद इस प्रकरण में 28 अप्रैल को निर्णय सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उमेश शर्मा का आपराधिक इतिहास है और उनके खिलाफ विभिन्न राज्यों में 29 मामले दर्ज हैं। उसके खिलाफ दुष्कर्म जैसे संगीन मामले में भी दर्ज है।
याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि उच्चतम न्यायालय ने भी 2021 में श्री शर्मा को राहत नहीं दी और उनकी ट्रांसफर पीटिशन को खारिज कर दिया था। वर्ष 2022 में श्री शर्मा की ओर से विधानसभा चुनाव के लिये जो बतौर निर्दलीय नामांकन पत्र भरा गया उसमें तथ्यों की सही जानकारी नहीं दी गयी। संगीन अभियोगों को छिपा दिया गया। यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के खिलाफ है।
याचिकाकर्ता की ओर यह भी कहा गया कि इसके बावजूद निर्वाचन आयोग की ओर से उनके नामांकन को निरस्त नहीं किया गया। याचिकाकर्ता की ओर से भारत के मुख्य निर्वाचन आयोग को भी इस मामले में पक्षकार बनाया गया है और अदालत से दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने और श्री शर्मा को कार्य करने से रोकने की मांग की गयी।
अदालत ने सुनवाई के दौरान याचिका की पोषणीयता के मामले में भी याचिकाकर्ता से कई सवाल किये थे। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से इस मामले में चुनाव याचिका दायर की गयी है। ऐसे में इस याचिका का कोई औचित्य नहीं है।