बंदी सिंहों की रिहाई में बाधा मानसिक अधिकारों का हनन: बीबी सहला
जालंधर,16 सितंबर : ह्यूमन राइट्स इमरजेंसी हेल्पलाइन एसोसिएशन ने सजाएं पूरी कर चुके जेलों में बंद सिख कैदियों की रिहाई में देरी को मानसिक अधिकारों का हनन करार दिया है।
एसोसिएशन की अध्यक्ष बीबी जसविंदर कौर सहल ने शुक्रवार को कहा कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के रूप में इस मामले को केवल सिखों का मामला नहीं माना जाना चाहिए बल्कि मानवाधिकारों से संबंधित माना जाना चाहिए।
बीबी ने कहा कि बलवंत सिंह राजना मौत की सजा सुनाए हुए लगभग 28 साल हो गए हैं, वह मानसिक यातना झेल रहा है। दूसरी ओर गुजरात में मुस्लिम महिला बिलकिस बानों के बलात्कारी और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या की सजा काट रहे 11 दोषियों को देश के कानून द्वारा करुणा और अच्छे व्यवहार के आधार पर रिहा कर दिया गया, जबकि वे यह हिंसक और असामाजिक तत्व हैं।
उन्होंने कहा कि पंजाब की आम आदमी सरकार की ओर से, दविंदरपाल सिंह भुल्लर की रिहाई के लिए 4-5 बार एक मजबूत सिफारिश भेजी गई लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल कोई फैसला या बयान जारी नहीं कर रहे। उन्होंने कहा कि सिख कैदियों की रिहाई को लेकर उनकी एसोसिएशन संघर्ष की पहली श्रंखला में 27 सितंबर को चंडीगढ़ और अमृतसर में कैंडल मार्च और बंदी छाड़ दिवस कार्यक्रम करेगी।