नयी दिल्ली, 29 जनवरी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को योग और मिलेट्स (ज्वार-बाजार और अन्य मोटे अनाज) में एक समानता ढूंढते हुए कहा कि दोनों दुनिया भर में लोगों के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है और भारत की पहल पर दोनों को ही संयुक्त राष्ट्र में मान्यता मिली है।
देशवासियों के नाम अपने मासिक रेडियो प्रसारण ‘प्रधानमंत्री मन की बात’ की 97वीं कड़ी में श्री मोदी देन कहा, ‘ अगर मैं आपसे पूंछू कि योग दिवस और हमारे विभिन्न तरह के मोटे अनाजों – मिलेट्स में क्या मेल है तो आप सोचेंगे ये भी क्या तुलना हुई ? अगर मैं कहूँ कि दोनों में काफी कुछ मेल है तो आप हैरान हो जाएंगे। दरअसल संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (2023), दोनों का ही निर्णय भारत के प्रस्ताव के बाद लिया है।
उन्होंने दोनों की समानता की व्याख्या का विस्तार करते हुए कहा , ‘ दूसरी बात ये कि योग भी स्वास्थ्य से जुड़ा है और मोटे अनाज भी सेहत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तीसरी बात और महत्वपूर्ण है – दोनों ही अभियानो में जन-भागीदारी की वजह से क्रांति आ रही है।
श्री मोदी ने कहा कि जिस तरह लोगों ने व्यापक स्तर पर सक्रिय भागीदारी करके योग और फिटनेस (शरीर को चुस्त दुरुस्त रखने) को अपने जीवन का हिस्सा बनाया है उसी तरह ज्वार-बाजार को भी लोग बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बदलाव का बहुत बड़ा प्रभाव भी दिख रहा है। इससे एक तरफ वो छोटे किसान बहुत उत्साहित हैं जो पारंपरिक रूप से ज्वार बाजरा का उत्पादन करते थे। वो इस बात से बहुत खुश हैं कि दुनिया अब का महत्व समझने लगी है।
मोटे अनाजों के व्यावसायिक पक्ष का भी जिक्र किया और कहा कि किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) और नए नए उद्यमी पौष्टिक तत्वों से भरपूर मोटे अनाजों को किसान के पास से बाजार तक पहुँचाने और उसे लोगों तक उपलब्ध कराने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
प्रधानमंत्री ने ऐसे उद्यमियों में आंध्र प्रदेश के नांदयाल जिले के रहने वाले के.वी. रामा सुब्बा रेड्डी जी का जिक्र किया जिन्होंने इसके लिए अच्छी-खासी नौकरी छोड़ दी। उन्हें माँ के हाथों से बने ज्वार-बाजरे के पकवानों का स्वाद कुछ ऐसा रचा-बसा था कि इन्होंने अपने गाँव में बाजरे की प्रसंस्करण इकाई ही शुरू कर दी।
श्री मोदी ने महाराष्ट्र में अलीबाग के पास केनाड गाँव की रहने वाली शर्मीला ओसवाल का भी उल्लेख किया जो किसानों को खेती में प्रवीण बना रही है और मोटे अनाजों के उत्पादन में योगदान कर रही हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में चल रहे एक मिलेट कैफ़े में मिलेट के चीला, डोसा, मोमोस, पिज़्ज़ा और मंचूरियन जैसे व्यंजनों की लोक प्रियता का जिक्र भी किया।
प्रधानमंत्री की मन की बात में ओडिशा के आदिवासी जिले सुंदरगढ़ की करीब डेढ़ हजार महिलाओं के स्वयं सहायता समूह के ओडिशा मिलेट्स मिशन का भी उल्लेख आया यहाँ महिलाएं मोटे अनाज से कूकीज, रसगुल्ला, गुलाब जामुन और केक तक बना रही हैं, आमदनी कर रही हैं।
कर्नाटक के कलबुर्गी में अलंद भुताई नाम के किसान का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी किसान उत्पादक कंपनी ने पिछले साल भारतीय ज्यार-बाजार एवं मोटे अनाज अनुसंधान संस्थान की देखरेख में काम शुरू किया। यहाँ के खाकरा, बिस्कुट और लड्डू लोगों को भा रहे हैं।
इस भाषण में उन्होंने उल्लेख किया कि कर्नाटक के ही बीदर जिले में हुलसर के एफपीओ से जुड़ी महिलाएं मिलेट की खेती के साथ ही उसका आटा भी तैयार कर रही हैं। प्राकृतिक खेती से जुड़े छत्तीसगढ़ के संदीप शर्मा जी के एफपीओ से आज 12 राज्यों के किसान जुड़े हैं।