राजस्थान

किसानों का पदयात्रा के जरिए जयपुर कूच जारी

जयपुर 25 फरवरी : राजस्थान में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसल खरीद की गारंटी का कानून लाने एवं अन्य मांगों को लेकर किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट के नेतृत्व में किसानों की पांच दिवसीय यात्रा अपने ठहराव स्थानों से आज दूसरे दिन जयपुर कूच के लिए आगे बढ़ी।

पांच दिवसीय यह यात्रा जयपुर कूच के लिए शुक्रवार को विभिन्न पांच स्थानों से शुरु हुई जो अपने पहले दिन के ठहराव के बाद सुबह फिर शुरु हुई । इसमें दूदू-जयपुर मार्ग पर मोहकमपुरा, नाइन एवं दौसा जयपुर मार्ग पर जटवाड़ा तथा सीकर जिले के श्रीमाधोपुर से आरंभ हुई यात्रा का भरणी में ठहराव के बाद किसानों की यह यात्रा जयपुर के लिए प्रस्थान किया।

इसी तरह टोंक जयपुर मार्ग पर निवाई कृषि उपज मंडी से आरंभ हुई यात्रा कोथुन कस्बे में ठहराव के बाद आगे बढ़ी। यात्रा में राजस्थान के संयोजक किसान महापंचायत सत्यनारायण सिंह कोटा, बारां, बूंदी एवं झालावाड़ के प्रतिनिधियों के साथ यात्रा में चल रहे हैं। दूदू जयपुर मार्ग पर जिला न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त किशन गुर्जर अजमेर एवं किशनगढ़ के वकीलों के साथ इस यात्रा में शामिल है। मोहकमपुरा से आरंभ होने के बाद पंचायत समिति दूदू के पूर्व प्रधान राम सारण यात्रा में सम्मिलित हुए। सीकर जयपुर मार्ग पर यात्रा में प्रदेश महामंत्री एवं सरपंच सुंदर भंवरिया पद यात्रियों के समूह के साथ में है।

इसी प्रकार दूदू जयपुर के मार्ग पर प्रदेश महामंत्री जगदीश नारायण जिला महामंत्री नंदलाल मीणा दूदू उपखंड के अध्यक्ष राम गोपाल गुर्जर अजमेर जिले से औराई क्षेत्र के भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष प्रहलाद जाट अजमेर के अन्य किसानों के साथ इस यात्रा में पैदल चल रहे हैं।

दौसा जयपुर मार्ग पर प्रदेश मंत्री बत्ती लाल बेरवा युवा प्रदेश महामंत्री पिंटू यादव एडवोकेट सवाई माधोपुर जिले से घनश्याम मीणा यात्रा चल रहे है।

किसानों की प्रमुख मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी कानून, यमुना का पानी से जयपुर, सीकर, नागौर जिलों में पहुंचाना एवं वर्ष 1994 के समझौते की पालना, पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को पूर्ण करने के लिये लागत का बजट में आवंटन करते हुए 13 जिलों के सभी बांधों एवं नदियों को जोड़ने, परवन बहुउदेशीय सिंचाई परियोजना सहित ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित कराने के लिये संकल्प लाने एवं आपदाओं से नष्ट हुई फसलों के लिए “जितना नुकसान – उतनी भरपाई” के आधार पर सहायता प्रदान करना शामिल है।

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