सोयाबीन के खराबे के सदमें में जान देने लगे किसान
कोटा 14 अक्टूबर : राजस्थान के कोटा संभाग में पिछले रबी के कृषि क्षेत्र में लहसुन के बम्पर उत्पादन के बाद उचित भाव नहीं मिलने से दुखी किसान अब सोयाबीन के फसल को भी व्यापक नुकसान के बाद दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से किसान सदमें में अपनी जान गवाने को मजबूर है।
ताजा घटनाक्रम के तहत कोटा जिले के सांगोद क्षेत्र के लटूरा गांव निवासी एक किसान महेंद्र नागर की सोयाबीन की फसल के खराबे के चलते ही सदमें के कारण जान चली गई जिनका कल लटूरा गांव में मुक्तिधाम पर ही मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम के बाद गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार कर दिया गया।
करवा चौथ के दिन हुए इस हादसे को लेकर पूरे लटूरा गांव के लोग सदमें के हालात में रहे और सुबह-दिन में शायद ही गांव का कोई ऐसा कोई घर रहा हो जहां चूल्हा जला हो।
संभाग के चारों जिलों में बीते सप्ताह बेमौसम बरसात हुई थी जिससे खरीफ के मौसम में हाडोती की मुख्य उपज माने जाने वाले सोयाबीन ही नहीं बल्कि मक्का और दलहनी फसलों उड़द,मूंग को व्यापक पैमाने पर नुकसान पहुंचा। कई इलाकों में तो नुकसान इतने बड़े पैमाने पैमाने पर हुआ कि किसान सदमें की हालत में आ रहे हैं।
किसानों को इस बार खरीफ़ के सत्र में समूचे अंचल में बेमौसम की बरसात ने फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचाया है तो इसके विपरीत बीते रबी के कृषि क्षेत्र में अनुकूल मौसमी परिस्थितियों के कारण लहसुन का बम्पर पैमाने पर उत्पादन हुआ लेकिन भावों के गर्त में चले जाने से सारा बेड़ा गर्क हो गया।
किसानों को लहसुन की फसल के लाभ मिलना तो दूर, लागत भी नहीं मिल पाई। तब भी अनेक किसानों की सदमें में जान चली गई थी और अनेक कर्ज के नीचे दब जाने से आत्महत्या को मजबूर हो गए थे।
हाडोती किसान यूनियन के महामंत्री दशरथ कुमार का कहना है कि जब तक केंद्र और राज्य सरकार सामान्य एवं प्राकृतिक आपदा की स्थिति में वैज्ञानिक तरीके से समर्थन मूल्य निर्धारित करके किसानों से उनकी फसलों की खरीद नहीं करेगी, तब तक किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिलने की कोई उम्मीद नही है।