राजस्थान

गारमेंट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन आफ राजस्थान ने की वस्त्र निर्यात की छूट योजना में संशोधन की मांग

जयपुर 22 अगस्त : गारमेंट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान ने वस्त्र निर्यात की छूट योजना रिबेट ऑफ स्टेट एंड सेंट्रल टैक्सेस एंड लेवी में संशोधन कर नकद प्रतिपूर्ति योजना को फिर से शुरु करने की केन्द्र सरकार से मांग की हैं।

संघ के अध्यक्ष विमल शाह ने आज यहां प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि कपड़ा उद्योग चाहता है कि सरकार लेनदेन योग्य स्क्रिप्स के बजाय नकद प्रतिपूर्ति योजना को फिर से शुरु किया जाये, क्योंकि इन स्क्रिप्स का लेनेदन 20 प्रतिशत छूट पर हो रहा है और इन स्क्रिप को निर्यातकों द्वारा आयातकों को बेचा जाता है जो अपने आयात शुल्क का भुगतान नकद आयात शुल्क के विकल्प के तौर पर इन खरीदी गई स्क्रिप के माध्यम से कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वस्त्र निर्यात की छूट योजना में असंतुलन से परिधान और वस्त्र उद्योग की प्रतिस्पर्धा प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि जयपुर की तरह देश भर में अलग अलग जगहों से वस्त्र निर्यातक अपनी मांग सरकार तक पहुंचाने के प्रयास कर रहे हैं।

श्री शाह ने कहा कि इस कारण परिधान निर्यातक अपने मार्जिन में हो रहे 15 प्रतिशत नुकसान को लेकर काफी चिंतित है। इससे राजस्थान के परिधान निर्यातकों को भी देश भर के अन्य निर्यातकों के समान निर्यात प्रतिस्पर्धा में गिरावट आने की आशंका सता रही है। उन्होंने बताया कि जयपुर से दस हजार करोड़ का वस्त्र निर्यात करता है, जिस पर इस योजना का करीब 50 करोड़ रुपए का सीधा असर पड़ रहा है।

वस्त्र निर्यातक एवं निर्माता संघ के अध्यक्ष एवं एक्सपोर्ट प्रमोशन सदस्य विजय जिंदल ने कहा कि छूट योजना निर्यातकों द्वारा इनपुट पर पहले से भुगतान किए गए करों, लेवी आदि के लिए छूट प्रदान करती है। इस छूट को अब उन स्क्रिप्स में बदल दिया गया है, जिनकी खरीद बिक्री की जा सकती है। हालांकि ये पहले भी छूट के साथ खरीदे जाते थे लेकिन अब छूट तीन प्रतिश से बढ़कर करीब 20 प्रतिशत हो गई है। स्क्रिप् पर इतने ज्यादा डिस्काउंअ से आयातकों को तो फायदा हो रहा है जो निर्यातकों की कीमत पर अनुचित लाभ उठा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक 16 रब डालर के परिधान निर्यात में करीब पांच प्रतिशत की प्रतिपूर्ति होती है जो लगभग छह हजार करोड़ रुपए बनती है। व्यापक स्तर पर इस पर 20 से 25 प्रतिशत डिस्काउंट दिया जाता है, इससे परिधान क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों के मार्जिन पर लगभग 1500 करोड़ रुपए का सीधा असर पड़ता है।

उन्होंने कहा कि स्क्रिप पर डिस्काउंट के कारण इस छूट योजना का उद्देश्य और लक्ष्य विफल हो गया है।
उन्होंने कहा कि यूरोप सहित कई देशों में मंदी का दौर चल रहा है और बाजार में मांग पचास प्रतिश ही रह गई हैं।

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