उत्तर प्रदेश

आयुर्वेद की मानव स्वास्थ्य में अहम भूमिका: योगी

मेरठ, 11 मार्च : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को यहां कहा कि आयुर्वेद की भूमिका मानव जीवन में अति महत्वपूर्ण है और हाल के वर्षो में पूरी दुनिया भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के महत्व से रूबरू हुयी है।

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) में तीन दिवसीय ऑल इंडिया आयुर्वेद महासम्मेलन को संबोधित करते हुये श्री योगी ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा पद्धति नौ साल में दुनिया में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, और इसका श्रेय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। उन्होंने पहली बार ऐसी मंत्रालय बनाया जिसमें योग, आयुर्वेद आदि शामिल हैं। आज इस एक प्लेटफ़ॉर्म पर इतने सारे आयुर्वेदिक विशेषज्ञ मौजूद हैं, और यह एक बड़ा सौभाग्य है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की परंपरागत चिकित्सा पद्धति नौ वर्ष के अंदर लंबी छलांग लगाकर दुनिया में छाने की स्थिति में है। प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों आयुर्वेद, योग, होम्योपैथ, यूनानी, प्राकृतिक चिकित्सा को लेकर आयुष मंत्रालय का गठन किया। दुनिया 2016 से 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मना रही है। दुनिया, देश, प्रांत, जनपद, शहर, गांव, कस्बा सभी योग से जुड़ते हैं। भारत की इस परंपरा के साथ दुनिया को जोड़ने और आयुर्वेद को दुनिया में स्थापित करने में पीएम के जो प्रयास प्रारंभ हुए। उनके परिणाम हमारे सामने हैं।

इस दौरान उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ओडीओपी प्रदर्शनी का उद्घाटन व अवलोकन भी किया।

योगी ने कहा कि यह आयुर्वेद सम्मेलन यहां आए चिकित्सकों को नई उड़ान के लिए तैयार कर रहा है। जहां यह सम्मेलन हो रहा है, वहां आयुर्वेद के कई विशेषज्ञों ने सम- विषम परिस्थितियों में बहुत कुछ कर दिखाया। खास तौर पर वैद्य रामसहाय कौशिक, वैद्य हरिदंत, कृष्ण लाल वाजपेयी, वैद्य मुरारी लाल शर्मा, पशुपति नाथ व विष्णु दत्त शर्मा ने पूरे क्षेत्र में आयुर्वेद के माध्यम से आयुष की जिस पद्धति को बढ़ाने का कार्य किया, वह अत्यंत अभिनंदनीय है। राष्ट्रपति के मानद यूनानी चिकित्सक पद्म पुरस्कार से सम्मानित हकीम सैफुद्दीन की धरती भी यही मेरठ रही है।

उन्होने कहा कि तीन दिवसीय सम्मेलन में आयुर्वेद की विभिन्न विधाओं को लेकर यहां चर्चा होगी। नए शोध से भी अवगत कराया जाएगा। आयुर्वेद को योग, प्राकृतिक चिकित्सा से हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से पीएम के अभियान से जोड़कर हेल्थ टूरिज्म के उत्कृष्ट केंद्र के रूप में विकसित कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने नौ वर्ष पहले आयुष मंत्रालय के गठन के साथ भारत की परंपरागत चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहित करने के कार्यक्रम बढ़ाए, आज उसी का परिणाम है कि यूपी में 3959 आयुष चिकित्सालय संचालित हैं, जिनमें आयुर्वेद के 2110, होम्योपैथ के 1584, यूनानी के 254 चिकित्सालय हैं। 50 बेड के 11 एकीकृत आयुष चिकित्सालयों के माध्यम से अलग-अलग क्षेत्रों में हम आरोग्यता के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम कर रहे हैं। यूपी में 105 आयुष महाविद्यालय हैं, जिनमें आयुर्वेद के 79 महाविद्यालय, यूनानी के 15 व होम्योपैथ के 11 महाविद्यालय कार्यरत हैं। यूपी पहले आयुष विश्वविद्यालय को भी संचालित कर चुका है। प्रदेश सरकार अनवरत इन परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है।

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