वर्ष 2021-2022 में 37 प्रतिशत बढ़ा राजस्थान का निर्यात
जयपुर, 12 अक्टूबर : राज्य के लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष राजीव अरोड़ा ने राजस्थान को अवसरों की भूमि बताते हुए कहा है कि वर्ष 2022-2022 में 37 प्रतिशत प्रदेश का निर्यात बढ़ गया हैं।
श्री अरोड़ा आज फिक्की राजस्थान स्टेट काउंसिल की ओर से आयोजित सातवीं एचआर एंड स्किल्स समिट के उद्घाटन समारोह को गेस्ट ऑफ ऑनर के तौर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गत सात और आठ अक्टूबर को आयोजित किए गए ‘इन्वेस्ट राजस्थान समिट ‘ में निवेशकों की प्रतिक्रिया ने यह साबित कर दिया है कि राजस्थान वास्तव में अवसरों की भूमि है। राजस्थान सरकार द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में भाग लेने वाले निवेशकों का कहना था कि राजस्थान उनके लिए भविष्य के निवेश किए जाने वाला राज्य है।
श्री अरोड़ा ने कहा कि राजस्थान का कोविड प्रबंधन देश में सर्वश्रेष्ठ रहा है और वर्ष 2022-2022 में 37 प्रतिशत प्रदेश का निर्यात बढ़ गया। राज्य की इंडस्ट्रीज एवं औद्योगिक प्रतिष्ठानों द्वारा कोविड के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए महामारी के बावजूद भी लगातार कार्य करते रहने की वजह से यह संभव हो पाया है।
उन्होंने कहा कि राज्य एचआर को कितना महत्व दे रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह देश का एकमात्र राज्य है, जहां दो स्किल यूनिवर्सिटी हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2020-2021 में नौ पॉलिटेक्निक कॉलेजों की क्षमता बढ़ा दी गई है और 30 इंजीनियरिंग कॉलेजों में रोबोटिक्स, साइबर फोरेंसिक इन्फॉरमेशन, एआई एवं डेटा साइंस के नए कोर्स शुरू किए गए हैं।
राजस्थान सरकार के कौशल, रोजगार एवं उद्यमिता के सचिव नरेश कुमार ठकराल ने अपने विशेष संबोधन में कहा कि राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम (आरएसएलडीसी) राज्य के स्किल डवलपमेंट मिशन की नोडल एजेंसी है, जिसके द्वारा इसकी ट्रेनिंग पार्टनर एजेंसियों के साथ मिलकर स्किल डवलपमेंट का एक विशेष सिस्टम बनाया गया है। आरएसएलडीसी द्वारा अब तक 5.15 लाख से अधिक युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया जा चुका है। इसके पास देशभर के 500 से अधिक ट्रेनिंग पार्टनर हैं, जो युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।
श्री ठकराल ने बताया कि आरएसएलडीसी की ओर से रिक्रूट—ट्रेन—डिप्लॉय (आरटीडी) मॉडल शुरू किया है। इसके तहत बड़े एवं मध्यम उद्योगों के कैंपस में बेरोजगार युवाओं के कौशल की मांग के अनुसार प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
आईसीएफएआई यूनिवर्सिटी, जयपुर के प्रेसीडेंट, डॉ. एच. पी. सिंह, वीएसएम ने कहा कि यह गर्व की बात है कि राजस्थान में वर्तमान में 52 निजी विश्वविद्यालयों सहित कुल 85 विश्वविद्यालय हैं, जो देश के किसी भी राज्य की सर्वाधिक संख्या हैं। उन्होंने बताया कि राज्य युवाओं को प्रशिक्षण व शिक्षा के साथ कौशल विकास के प्रति गंभीर है। युवाओं को उपयुक्त कौशल प्रदान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि केवल शिक्षा रोजगार प्रदान नहीं कर सकती है।
मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के एग्जीक्यूटिव एडवाइजर एस वाई सिद्दीकी ने कहा कि कोविड के बाद व्यापार और उद्योग जगत में बहुत बड़ा बदलाव आया है। स्वास्थ्य एवं सुरक्षा अब एक उच्च प्राथमिकता बन गए हैं और ग्लोबलाइजेशन के बजाय अब रिवर्स ग्लोबलाइजेशन पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कोविड के बाद अब वर्कफोर्स एवं वर्कप्लेस बदल गए हैं। न्यू नॉरमल का मतलब है कि पुराने कौशल को छोड़ना होगा और नए कौशल सीखने होंगे साथ ही एडजस्ट, अडॉप्ट एवं अडेप्ट करना भी सीखना होगा।
मणिपाल यूनिवर्सिटी जयपुर के प्रेसीडेंट, डॉ. जी के प्रभु ने कहा कि आज यूनिवर्सिटीज की अलग चुनौतियां हैं। कोविड के बाद उन्होंने सीखा है कि पाठ्यक्रम को बदलना होगा। इसे कॉम्पिटेटिव, रेलेवेंट एवं फ्लेक्सिबल बनाना होगा। उन्होंने कहा कि रिसर्च एवं इनोवेशन अब बेहद महत्वपूर्ण हो गए हैं।
फिक्की राजस्थान की एचआर एंड स्किल्स सब कमेटी के चेयरमेन एवं होंडा कार्स इंडिया लिमिटेड के निदेशक प्रवीण परांजपे ने कहा कि इन दिनों स्किल एवं रीस्किल काफी महत्वपूर्ण हो गए हैं। एजुकेशन एवं स्किल डवलपमेंट के लिए एक रणनीति होनी चाहिए। ‘आत्मनिर्भर भारत’ ने यह साबित कर दिया है कि लोकल का मतलब ग्लोबल होता है, जिसके लिए उपयुक्त कौशल की आवश्यकता होती है।
इससे पूर्व फिक्की राजस्थान स्टेट काउंसिल के सह-अध्यक्ष और मंडावा होटल्स के सीएमडी रणधीर विक्रम सिंह ने कहा कि संगठनात्मक प्रतिस्पर्धा बेहद महत्वपूर्ण हो गई है, जिसके लिए एक विशेष स्किल सेट की आवश्यकता होती है। आगामी दशक में कम से कम 50 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा, जिसके लिए उपयुक्त प्रशिक्षण और तकनीकी कौशल की जरूरत होगी।