सुप्रीम कोर्ट पहुंचा शिवसेना का चुनाव चिन्ह विवाद
नयी दिल्ली, 25 जुलाई : शिवसेना के चुनाव चिन्ह का विवाद अब उच्चतम न्यायालय में पहुंच गया है।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की नेतृत्व वाली शिवसेना ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पार्टी के अन्य नेताओं की ओर से उन्हें बतौर ‘असली’ शिवसेना की मान्यता देने संबंधी याचिका पर चुनाव आयोग की कार्यवाही पर रोक लगाने आदेश देने की गुहार लगाई है।
शिवसेना के महासचिव सुभाष देसाई ने अपनी याचिका में बागी विधायकों ( शिंदे खेमा) की अयोग्यता पर शीर्ष न्यायालय का अंतिम फैसला आने तक 22 जुलाई को चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई कार्यवाही पर रोक लगाने गुहार लगाई है।
याचिका में कहा गया है कि शीर्ष न्यायालय के समक्ष 20 जुलाई 2022 को महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष की ओर से पेश वकील ने आश्वासन दिया था कि
दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता के मामले में आगे कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी।
शीर्ष न्यायालय के समक्ष दायर याचिका में कहा गया है कि श्री शिंदे और अन्य ने कथित तौर पर चुनाव चिन्ह (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 (प्रतीक आदेश) के पैरा 15 के तहत ‘असली शिवसेना” के रूप में मान्यता देने की चुनाव आयोग से मांग की है।
श्री शिंदे खेमा शिवसेना को आवंटित चुनाव चिन्ह “धनुष और तीर” का उपयोग करने के अधिकार का दावा कर रहा है।
श्री देसाई की याचिका में कहा गया है कि चूंकि विधानसभा के सदस्यों के रूप में अध्यक्ष के समक्ष याचिका दायर करने वाले व्यक्तियों की स्थिति वर्तमान में अनिश्चित है। यह मुद्दा शीर्ष अदालत के समक्ष निर्णय के लिए लंबित है, इसलिए इन व्यक्तियों (शिंदे एवं उनके नेतृत्व में सरकार बनाने वाले बागी शिवसेना नेताओं) को विधायक नहीं माना जा सकता है।