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सिसोदिया ने शिक्षकों के काम का मखौल न उड़ाने की उपराज्यपाल से की अपील

नयी दिल्ली, 21 जनवरी : दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना से दिल्ली के शिक्षकों के काम का मखौल न उड़ाने की शनिवार को अपील की।

श्री सिसोदिया ने श्री सक्सेना द्वारा सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में कई खामियां गिनाने का कड़ा विरोध करते हुए आज उनके सारे आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने उपराज्यपाल को लिखे पत्र में कहा,“आपके द्वारा शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नाम एक पत्र लिखा गया है। आप ने दिल्ली के शिक्षा विभाग के कामकाज की आलोचना करते हुए जो आँकड़े दिए हैं वह सही नहीं है। दिल्ली के 60 हजार शिक्षक, 18 लाख बच्चे और उनके 36 लाख अभिभावक, जिन्होंने अपनी मेहनत से दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाया है वह सभी आहत और अपमानित महसूस कर रहे हैं। आपको असत्य तथ्यों का सहारा लेकर इस तरह पूरी शिक्षा व्यवस्था को बदनाम नहीं करना चाहिए था।”

उन्होंने कहा ,“ आपको तो शायद पता भी नहीं होगा कि 2015 में सरकारी स्कूल के नाम पर केवल टूटे-फूटे कमरे हुआ करते थे जिनमें ऊपर से पानी टपकता था। उनकी छत और दीवारें धूल और मकड़ी के जालों से अटी रहती थीं। स्कूलों में पीने का पानी और साफ सुधरा टॉयलेट होना तो दूर की बात थी, बिल्डिंग के किसी कोने में टूटा फूटा टॉयलेट होता था वहां इतनी बदबू आती थी की उधर से निकलना भी मुश्किल होता था। ऐसे माहौल में हमारी बच्चियां, बच्चे, महिला और पुरुष अध्यापक किस तरह नाक बंद करके आठ घंटे स्कूल में रहते होंगे, आज आप इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते। हमें गर्व है कि हमारी सरकार के दौरान सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदल गई है। ‘टेंट वाले स्कूल’ अब ‘टैलेंट वाले स्कूल’ में बदल गए हैं। हमने अपने बच्चों को पढ़ने के लिए शानदार क्लास रूम बनवा कर दिए हैं। बच्चों और शिक्षकों के इस्तेमाल के लिए शानदार साफ-सुथरे अच्छे-अच्छे टॉयलेट बना कर दिए है।”

उपमुख्यमंत्री ने कहा,“ आपको शायद पता नहीं होगा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बोर्ड की परीक्षा में मुश्किल से 75 से 80 प्रतिशत बच्चे पास होते थे। वह भी बस किसी तरह से घिसट-घिसट कर 50-60 फीसद नंबर लाकर पास होते थे। अब हमें गर्व है कि हमारे सरकारी स्कूलों के 99.6 फीसद बच्चे पास हो रहे हैं और सिर्फ पास नहीं हो रहे हैं बल्कि अब बच्चों की एक बड़ी संख्या ऐसी है जिनके नतीजे 90-95 से 100 फीसद तक आ रहे हैं। दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने देश में कमाल करके दिखाया है कि अब हमारे बच्चे बिना महंगी कोचिंग किए भी आईआईटी और जेईई जैसी परीक्षा पास कर रहे हैं।”

उन्होंने अपने पत्र में कहा कि दिल्ली में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के जो पद खाली पड़े हैं, वह आपकी असफलता है। आप की नाकामी का खामियाजा दिल्ली के बच्चे क्यों भुगतें? आप अध्यापकों की भर्तियां नहीं कर पाए तो सरकार ने गेस्ट टीचर रखे। यह सब गेस्ट टीचर सीटेट का एग्जाम पास करके आए योग्य शिक्षक है।

श्री सिसोदिया ने नए स्कूल खोलने के लिए जमीन देने के उपराज्यपाल के दावे पर कहा ,“ आपने अपने पत्र में दावा किया है कि आपकी अध्यक्षता वाले दिल्ली विकास प्राधिकरण ने दिल्ली सरकार को नए स्कूल बनाने के लिए 13 प्लॉट्स दिए हैं जिन पर अभी दिल्ली सरकार ने स्कूल नहीं बनाए है। आपको तथ्यों की सही जानकारी होनी चाहिए। इन 13 में से 4 प्लॉट तो ऐसे हैं जिनका कब्जा भी अभी तक आप की अध्यक्षता वाले डीडीए ने दिल्ली सरकार को नहीं दिया है। डीडीए द्वारा दिए गए दो प्लॉट्स ऐसे हैं जिन पर डीडीए ने ही भूमाफिया से कब्जा करा रखा था। स्थानीय विधायकों ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर, भूमाफिया से सीधी टक्कर लेते हुए इन दोनों प्लीट्स को खाली कराया है और अब इन पर शानदार स्कूल बन रहे हैं।”

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट करके कहा है कि दिल्ली के शिक्षक,विद्यार्थी और उनके अभिभावकों ने मिलकर पिछले सात सालों में कड़ी मेहनत करके शिक्षा व्यवस्था को सुधारा है। उपराज्यपाल को उनका अपमान करने की बजाय उनका हौसला बढ़ाना चाहिए।

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