सौर ऊर्जा से गरीबों के जीवन में बदलाव: मोदी
नयी दिल्ली 30,अक्टूबर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा है कि सौर ऊर्जा से कैसे देश के गरीब और मध्यम वर्ग के जीवन में बदलाव आ रहा है यह अध्ययन का विषय है।
श्री मोदी ने आकाशवाणी पर रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा,“ सौर ऊर्जा एक ऐसा विषय है, जिसमें पूरी दुनिया अपना भविष्य देख रही है और भारत के लिए तो सूर्य देव सदियों से उपासना ही नहीं, जीवन पद्धति के भी केंद्र में रह रहे हैं। भारत, आज अपने पारंपरिक अनुभवों को आधुनिक विज्ञान से जोड़ रहा है, तभी, आज हम, सौर ऊर्जा से बिजली बनाने वाले सबसे बड़े देशों में शामिल हो गए हैं। सौर ऊर्जा से कैसे हमारे देश के गरीब और मध्यम वर्ग के जीवन में बदलाव आ रहा है, वो भी अध्ययन का विषय है।”
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में, काँचीपुरम में एक किसान थिरु के. एझिलन इन्होंने ‘पी.एम कुसुम योजना’ का लाभ लिया और अपने खेत में दस एच पी का सोलर पंप सेट लगवाया। अब उन्हें अपने खेत के लिए बिजली पर कुछ खर्च नहीं करना होता है। खेत में सिंचाई के लिए अब वो सरकार की बिजली सप्लाई पर निर्भर भी नहीं हैं। वैसे ही राजस्थान के भरतपुर में ‘पी.एम. कुसुम योजना’ के एक और लाभार्थी किसान हैं – कमलजी मीणा। कमलजी ने खेत में सोलर पंप लगाया, जिससे उनकी लागत कम हो गई है। लागत कम हुई तो आमदनी भी बढ़ गई। कमलजी सोलार बिजली से दूसरे कई छोटे उद्योगों को भी जोड़ रहे हैं। उनके इलाके में लकड़ी का काम है, गाय के गोबर से बनने वाले उत्पाद हैं, इनमें भी सोलर बिजली का इस्तेमाल हो रहा है, वो, 10-12 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं, यानी, कुसुम योजना से कमलजी ने जो शुरुआत की, उसकी महक कितने ही लोगों तक पहुँचने लगी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के पहले सूर्य ग्राम – गुजरात के मोढेरा की खूब चर्चा में है । मोढेरा सूर्य ग्राम के ज्यादातर घर, सोलर पावर से बिजली पैदा करने लगे हैं। अब वहां के कई घरों में महीने के आखिर में बिजली का बिल नहीं आ रहा, बल्कि, बिजली से कमाई का चेक आ रहा है। उन्होंने कहा,“ ये होता देख, अब देश के बहुत से गावों के लोग मुझे चिट्ठियां लिखकर कह रहे हैं कि उनके गांव को भी सूर्य ग्राम में बदला जाए, यानी वो दिन दूर नहीं जब भारत में सूर्यग्रामों का निर्माण बहुत बड़ा जनांदोलन बनेगा और इसकी शुरुआत मोढेरा गांव के लोग कर ही चुके हैं।”