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नीतीश सरकार को उच्च न्यायालय से मिली बड़ी राहत, जातीय गणना को दी हरी झंडी

पटना 01 अगस्त : बिहार सरकार को आज पटना उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिल गई और अब नीतीश सरकार जातीय गणना का काम पूरा करा सकेगी ।
पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन एवं न्यायाधीश पार्थ सारथी की खण्डपीठ ने मंगलवार को जातीय गणना पर रोक लगाने के आग्रह से संबंधित सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया । इस मामले पर 17 अप्रैल को पहली बार सुनवाई हुई थी। उच्च न्यायालय ने चार मई को जाति आधारित गणना पर रोक लगाते हुए उस समय तक हुए सर्वे में प्राप्त आंकड़ों को नष्ट नहीं करने का आदेश दिया था और सुनवाई की अगली तिथि तीन जुलाई तय की थी । इस मामले में लगातार दोनों पक्षों को सुनने के बाद 7 जुलाई को सुनवाई पूरी हो गई और अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था ।
याचिकाकर्ता की ओर से दलील दिया गया था कि राज्य सरकार सर्वेक्षण के नाम पर जनगणना करा रही है जो इसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
सरकार ने इस गणना का उद्देश्य नहीं बताया है, जिससे इन संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग किया जा सकता है । यह जनता के निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा । राज्य सरकार ने आकस्मिक निधि से 500 करोड़ इस सर्वेक्षण के लिए इस्तेमाल किया है, जो जनता के धन का दुरुपयोग है। संविधान राज्य सरकार को इस तरह का सर्वेक्षण करने की अनुमति नहीं देता है।

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