उत्तर प्रदेश

पूरब में जनवरीनाथ, पश्चिम में महेशनाथ करते हैं सुलतानपुर की रक्षा

सुलतानपुर, 17 फरवरी : उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिला मुख्यालय के पूरब और पश्चिम में महादेव का पहरा है। महाशिवरात्रि पर पूरब स्थित जनवरीनाथ धाम व पश्चिम महेशनाथ धाम में भक्तों की श्रद्धा देखने को मिलती है। दोनों देव स्थानों पर लाखों-लाख श्रद्धालु माथा टेकते हैं और जलाभिषेक कर मन्नते मांगते हैं।

जिला मुख्यालय से पूरब काशी विश्वनाथ के रास्ते वाराणसी मार्ग पर लगभग 22 किलोमीटर पर लंभुआ स्थित सैतापुर सराय गांव में घने जंगल के बीच बाबा जनवारीनाथ धाम है। मंदिर में स्थित शिवलिंग की स्थापना का कोई ज्ञात स्रोत नहीं है, जिससे इसे श्रद्धालु स्वप्रगटित शिवलिंग के रूप में पूजते हैं। बाबा विश्वनाथ को जलाभिषेक करने जाने वाले श्रद्धालु पहले यहां जलाभिषेक करते हैं, फिर आगे बढ़ते हैं। शिवलिंग की स्थापना कब हुई, इसकी जानकारी आज त‍क किसी को नहीं हो सकी है।

इस शिवलिंग पर कोई छत नही है। मान्यता है कि जिसने भी शिवलिंग पर छत डालने की कोशिश की, उसका अनिष्ट ही हुआ जिसके कारण यहां अब भी शिवलिंग खुले आसमान के नीचे है। लोगों की अगाध आस्था इस धाम से जुड़ी है। महाशिवरात्रि से पहले मंदिर की सफाई व रंगरोगन का कार्य पूरा करा लिया गया। मंदिर को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया है। यह दृश्‍य रात को और मनोरम लगता है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने और भोजन की व्यवस्था मंदिर प्रशासन कर रहा है। इस मंदिर में सुबह शाम भोले बाबा के भक्त ढोल-मजीरे की थाप पर भजन गाते हैं।

यहां बस और ट्रेन से लम्भुआ पहुंच कर सैतापुर सराय गांव तक टैम्पो, टैक्सी, ई रिक्शा, बाइक व साइकिल से पहुंचा जा सकता है। तमाम लोग पैदल ही कस्बे से भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक करने जाते हैं। जो यहां सच्‍चे दिल से भगवान शिव की अराधना करता है उसकी सभी मनोाकमनाएं पूरी होती हैं। कई दशक से यह धाम इलाके के लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। प्रत्येक सोमवार और शनिवार के अलावा सावन व अधिक मास में रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजन को आते हैं।

सावन के बाद कांवड़िया संघ विशाल भंडारे का भी आयोजन करता है। यह स्थान पर्यटन विभाग में दर्ज है। विभाग से की विकास कार्य हुए हैं। सुलतानपुर सीट से विधायक और पर्यटन मंत्री रहे विनोद सिंह ने देवस्थान के विकास के लिये कई कार्य कराये हैं। कई श्रद्धालुओं ने अटूट श्रद्धा के कारण निजी धन से बेंच, विभिन्न देवी देवताओं के मंदिर, हैंडपंप व धर्मशाला की व्यवस्था की।

जिलाधिकारी रवीश गुप्ता व पुलिस अधीक्षक सोमेन वर्मा ने शिवरात्रि त्यौहार के दृष्टिगत बाबा जनवारीनाथ धाम मंदिर का भ्रमण कर सुरक्षा व्यवस्था व श्रद्धालुओं हेतु किये गये व्यवस्थाओं का जायजा लिया। साथ में उपजिलाधिकारी लम्भुआ वंदना पाण्डेय क्षेत्राधिकारी लम्भुआ रहे।

इसी तरह सुलतानपुर जिला मुख्यालय से पश्चिम अमेठी, रायबरेली राजमार्ग पर 15 किलोमीटर दूर धम्मौर के निकट महेशनाथ धाम स्थित है। इस धाम परिसर में एक सुंदर आकर्षण शिव मंदिर है, छोटे से जंगल के बीच में विशाल बरगद का पेड़ है। उनकी टहनियां लटकती हुई जमीन में पहुंच चुकी हैं। मंदिर एवं आसपास रखी मूर्तियों से ऐसा लगता है कि हजारों साल पहले की मूर्तियां है। महाशिवरात्रि पर व सावन महीने की शुरुआत होते ही मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ जाती है। गांव-शहर के लोग बाबा महेश नाथ के दर्शन करने के लिए लोग पहुंचते हैं।

मान्यता है कि एक छोटे से बाग में झाड़ झंकार एवं बरगद का पेड़ था, वहीं पर शिवलिंग सहित अन्य भगवान की मूर्तियां मौजूद थी। लोग दिन में भी वहां जाने पर डरते थे। अमेठी जिले के कूड़धाम पर एक त्यागी बाबा रहते थे। उनकी त्याग तपस्या से धाम आस्था का केंद्र बनता चला गया। बाबा की लगोटी सूखने के लिए रस्सी पर दिखाई देती थी, परंतु बाबा कब स्नान करते थे यह किसी को पता नहीं चल पाता था।

त्यागी बाबा ने मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए यही पर अपनी कुटिया जमा ली। धीरे-धीरे बाबा की ख्याति के साथ मंदिर पर लोगों की भीड़ बढ़ने लगी। क्षेत्र के आसपास के हजारों लोग प्रतिदिन बाबा महेशनाथ धाम की परिक्रमा करने आते हैं। यहां पहुंचने के लिए सुलतानपुर से रायबरेली मार्ग पर रोडवेज बस, टैम्पो आदि से धंमौर बाजार से पहले नहर के पास उतर कर पैदल पहुँचा जा सकता है। सड़क से बमुश्किल एक किलोमीटर पड़ेंगा।
सुलतानपुर जिले के दोनों दिशाओं में भगवान भोले नाथ के सिद्धधाम होने से यह जिला हमेशा तमाम प्राकृतिक आपदाओं व संकटो से बचता रहा हैं।

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