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माकपा, कांग्रेस, मोथा में सीटों को लेकर हुआ समझौता

अगरतला 11 जनवरी : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने बुधवार को साफ किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य में संविधान का शासन सुनश्चित करने के लिए वामदल, कांग्रेस और जनजातीय इलाकों में पकड़ वाली टिपरा माेथा के साथ सीटों को लेकर सामंजस्य बैठा लिया जायेगा। राज्य स्तरीय नेताओं के बीच दो दिन तक चल कई दौर की वार्ताओं और गंभीर चर्चा के बाद यह बयान सामने आया है।

श्री येचुरी ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “अगले माह होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने और इस पार्टी के विरोध में मतदाताओं को लामबंद करने के लिए 23वीं पार्टी कांग्रेस के निर्णय के अनुसरण में हम कोई उपयुक्त चुनावी रणनीति अपनायेंगे। राज्य समिति को विभिन्न दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर उपयुक्त रणनीति बनाने का काम सौंपा गया है लेकिन कोई गठबंधन नहीं किया जायेगा।”

पिछले विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के साथ माकपा गठबंधन को लेकर हुए विवाद पर श्री येचुरी ने कहा, “माकपा की केंद्रीय समिति ने पाया कि पश्चिम बंगाल में माकपा के साथ गठबंधन सही नहीं था, लेकिन भाजपा के खिलाफ कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच समझौता ठीक था। उन्होंने कहा कि पार्टी नेताओं को कांग्रेस और मोथा तथा माकपा के साथ सीटों के बंटवारे के मामले को निपटाने का काम दे दिया गया है। यह सब आगामी चुनावों में भाजपा के खिलाफ सभी लोकतांत्रिक दलों को एकजुट करने से जुड़ा है।

उन्होंने कहा, “ आगामी चुनावों में भगवा पार्टी की हिंसा की रणनीति के खिलाफ पार्टियां जी-जान से लड़ेंगी, भाजपा ने 2018 के बाद के सभी चुनावों में इस रणनीति का इस्तेमाल किया था।”

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में किये वादों में से किसी एक को भी पूरा नहीं किया । यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब लोगों के सामने गलत आंकडे पेश कर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और केंद्र सरकार के अन्य मंत्री तथा भाजपा के बड़े नेता सभी चुनावी वादे पूरे करने का दावा कर रहे हैं।

श्री येचुरी ने कहा, “राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकडे बताते हैं कि त्रिपुरा में देश में सर्वाधिक राजनीतिक हिंसा के मामले, मादक पदार्थों और उसकी तस्करी से जुड़े अपराध तथा आईपीसी की धारा के तहत अपराध दर्ज किये गये हैं। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री दोनों ही राज्य कर्मचारियों को सातवां वेतन आयोग का लाभ देने, लोगों के विभिन्न सामाजिक कल्याण योजाओं को लाभ लेने और अधसंरचना में जबरदस्त बदलाव आने का दावा करते हैं तो सही नहीं है और सही में कहा जाएं तो यह सच्चाई से एकदम उलट है।

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