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दक्षिण पूर्व एशिया के बाजार में भारत के ज्वार-बाजरा उत्पादों का शोर, इंडोनेशिया में 5 दिवसीय ‘मिलेट मेला’

जकार्ता (इंडोनेशिया), 22 नवंबर    मिलेट यानीृ ज्वार-बाजरा श्रेणी के उत्पादों को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बना कर भोजन में जलवायु-अनुकूल अनाज को प्रोत्साहित करने करने के लिए दक्षिण पूर्व एशियायी देशों के संघ (आसियान ) के लिए भारतीय मिशन ने कृषि मंत्रालय के साथ मिलकर बुधवार को यहां इंडोनेशिया की राजधानी में आसियान-भारत मिलेट्स फेस्टिवल ( ज्वार-बाजरा उत्पाद महोत्सव) का आयोजन किया है।

इस पांच दिवसीय महोत्सव में भारत के कई स्टार्ट-अप, किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), निर्यातक और बाजरा उद्यमी भाग ले रहे हैं। इस उत्सव का उद्देश्य ज्वार-बाजरा, जिसे भारत ने श्री अन्ना कहा जाता है, उसके गुणों और उपयोगिता के बारे में जागरूकता पैदा करना और इसे भोजन के पसंदीदा पसंदीदा भोजन विकल्प के रूप में प्रस्तुत करना है। आसियान में भारत के राजदूत जयंत खोबरागड़े ने यहां विशेष रूप से आयोजित भारतीय नृत्य और संगीत कार्यक्रम के बीच महोत्सव के उद्घाटन के बाद अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा, “ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल 7 सितंबर को आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लिया और उसमें अपनाए गए संयुक्त बयानों में से एक खाद्य सुरक्षा पर था, और देखिए, उसके बाद दो महीने में ही हम बाजरा उत्सव मना रहे हैं जिसमें खाद्य सुरक्षा का विषय भी शामिल है । यह दर्शाता है कि हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी कितने प्रभावी ढंग से काम कर रही है।,’

उद्घाटन समारोह में इंडोनेशिया की राष्ट्रीय खाद्य एजेंसी के प्रतिनिधि एरीफ प्रासेत्यो आदि ने कहा कि आसियान-भारत मिलेट्स महोत्सव पोषण और पर्यावरणीय दशाओं से लेकर आर्थिक विकास तक ज्वार-बाजरा श्रेणी के उत्पादों के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का महत्वपूर्ण अवसर है।

भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग में अतिरिक्त सचिव डॉ. मनिंदर कौर द्विवेदी ने कहा, “ चूंकि मिलेट्स कोई एक एकल फसल नहीं हैं बल्कि और बहुत ही विविधता वाली विभिन्न फसलों का एक समूह है, जिसमें एक सामान्य विशेषता है कि ये फसले जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में सहायक, कृषकों के साथ-साथ उपभोक्ताओं के लिए भी स्वस्थ फसल हैं, ज्वार-बाजार श्रेणी की फसलों की खेती दुनिया भर के सभी क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में पोषण प्रदान कर सकते हैं।’’

इस कार्यक्रम में ज्वार-बाजार के बाजार में काम कर रहे भारतीय उद्यमियों के अलावा, कई इंडोनेशियाई फर्मों ने भी भाग लिया है। उनके स्टालों पर बाजरा उत्पादों का प्रदर्शन किया गया है।

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग में संयुक्त सचिव (फसल) श्रीमती शुभा ठाकुर ने कहा, “ज्वार-बाजरा को भोजन की थाली में फिर से जगह दिलाने , हमारे आहार में इसे सबसे आगे रखने के लिए, हमें इसकी ब्रांडिंग करने की जरूरत है। हमें इस तरह इसकी ब्रांडिंग करने की जरूरत है कि यह पकाने में आसान है और खाने में अच्छा है। इसलिए, हम युवाओं की कल्पना में जगह बनाना चाहते हैं और संदेश फैलाना चाहते हैं कि आप बाजरा से बना पास्ता, बाजरे का नूडल, बाजरा केक खा सकते हैं।’

दक्षिण पूर्व एशिया में भारत के ज्वार बाजार महोत्सव का उद्घाटन सत्र दक्षिण जकार्ता में एक प्रमुख शॉपिंग स्थल कोटा कसाब्लांका मॉल में हुआ। महोत्सव में बाजरा-केंद्रित प्रदर्शनी आयोजित की गयी है जिसमें बाजरा-आधारित एफपीओ, स्टार्ट-अप और भारतीय शेफ की भागीदारीहै।

अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (आईवाईएम )2023 के अंतर्गत साल भर चलने वाले कार्यक्रमों के अनुरूप, इस उत्सव का उद्देश्य आसियान सदस्य देशों यानी ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम में ज्वार बाजरा और उनसे बने उत्पादों के लिए जागरूकता बढ़ाना और बाजार बनाना है।

यहां ज्यार बाजारा उत्सव में भाग लेने वाले एफपीओ सदस्यों ने यूनीवार्ता से बातचीत में कहा कि उन्हें ब्याज छूट के माध्यम से भारत सरकार से समर्थन मिला है।

गुजरात स्थित एफपीओ वाम एग्रो के अंकित पटेल ने कहा, “हमें एफपीओ के प्रबंधन के लिए 15 लाख रुपये की वित्तीय सहायता के अलावा 3% ब्याज छूट मिली। इस साल, हमें 5 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होने की उम्मीद है। हम विभिन्न बाजरा उत्पादों का निर्यात शुरू करने की भी योजना बना रहे हैं और सभी संबंधित दस्तावेज पूरे कर लिए हैं।” सिटीब्लॉक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के एक अन्य एफपीओ प्रतिभागी धर्मेंद्र कुमार मौर्य ने कहा कि मूल्यवर्धित बाजरा उत्पादों के उत्पादन से उन्हें अच्छी मासिक आय अर्जित करने में मदद मिली है। मौर्य ने कहा, “हमारे पास एक छोटी इकाई है जिसे हमने 5 लाख रुपये का ऋण लेकर स्थापित किया है। हम अपनी आय से काफी खुश हैं।”

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