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आरक्षण प्रावधानों को जानने अध्ययन दल जायेंगा तीन राज्यों के दौरे पर

रायपुर, 08 नवम्बर: उच्चतम न्यायालय के गरीब सवर्णों को आरक्षण और इससे ळिए 50 प्रतिशत की अधिकतम सीमा को पार करने को जायज ठहराने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने तीन राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु एवं कर्नाटक में अध्ययन दल भेजने का निर्णय लिया हैं।

सामान्य प्रशासन विभाग ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश के परिपालन में राज्य के अधिकारियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के संयुक्त दल को आरक्षण प्रावधानों के अध्ययन के लिए महाराष्ट्र, तमिलनाडु एवं कर्नाटक भेजने सम्बन्धी आदेश जारी कर दिया हैं।

यह अध्ययन दल उक्त राज्यों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण प्रावधानों के संबंध में सुसंगत एवं उपयुक्त जानकारी, विधिक स्थिति, पिछड़ेपन संबंधी, क्वांटिफिएबल डाटा या समकक्ष आयोग/प्रतिवेदन की जानकारी संबंधी राज्य के आरक्षण संबंधी न्यायालयीन प्रकरण एवं वस्तुस्थिति का अध्ययन कर छत्तीसगढ़ शासन को रिपोर्ट सौंपेगा।

जारी आदेश के तहत महाराष्ट्र में आरक्षण के प्रावधानों के अध्ययन के लिए आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग श्रीमती शम्मी आबिदी, अवर सचिव सामान्य प्रशासन विभाग एस.के.सिंह, उपायुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग प्रज्ञान सेठ, सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश व सामाजिक कार्यकर्ता आर.वी.सिंह और सेवानिवृत्त आईपीएस एवं सामाजिक कार्यकर्ता भारत सिंह जाएंगे।

इसी तरह जल संसाधन विभाग के सचिव पी. अनबलगन, अवर सचिव सामान्य प्रशासन विभाग श्रीमती अंशिका पाण्डेय, अपर संचालक आदिम जाति संजय गौर, सेवानिवृत्त आईएएस एवं सामाजिक कार्यकर्ता बी.एल.ठाकुर एवं जी.एस. धनंजय का दल तमिलनाडु में अध्ययन के लिए जाएगा। संचालक स्वास्थ्य सेवाएं भीम सिंह, अवर सचिव सामान्य प्रशासन पुलक भट्टाचार्य, अपर संचालक आदिम जाति ए.आर. नवरंग, सेवानिवृत्त आईएएस एवं सामाजिक कार्यकर्ता एच.एल.नायक तथा सेवानिवृत्त आईएफएस एवं सामाजिक कार्यकर्ता विक्रम लकड़ा का संयुक्त दल कर्नाटक में अध्ययन के लिए जाएगा।

ज्ञातव्य हैं कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा पिछले माह पूर्ववर्ती सरकार द्वारा 50 प्रतिशत की सीमा से आगे जाकर दिए आरक्षण के आदेश को रद्द किए जाने के बाद प्रभावित वर्गों खासकर आदिवासी समाज की कड़ी नाराजगी का राज्य सरकार को सामना कर पड़ रहा हैं।उच्चतम न्यायालय के कल के आदेश के बाद राज्य सरकार को विश्वास हैं कि नए सिरे से इस बारे में सरकार के कदम उठाने पर अब मुश्किल नही होगी।

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