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बैंक ऑफ महाराष्ट्र की हड़ताल को राज्य स्तरीय संगठन समर्थन दें: एआईबीईए

हैदराबाद, 10 जनवरी : अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) ने राज्य संघों/संघों से अपील की है कि वे जनवरी और फरवरी में बैंक ऑफ महाराष्ट्र (बीओएम) में यूनियन की ओर से आहूत हड़ताल को पूरा समर्थन दें।

एआईबीईए के महासचिव सी वेंकटचलम ने सभी पदाधिकारियों / राज्य संघों / अखिल भारतीय बैंकवार संगठन को भेजे गए एक परिपत्र में कहा है कि बीओएम में यूनियन ने 16 जनवरी को मुंबई, पुणे, औरंगाबाद और नागपुर शाखाओं में यूनियनों के कार्यालयों की बेदखली के खिलाफ एक दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि सभी यूनियन, यूनाइटेड फोरम ऑफ महाबैंक यूनियंस (एआईबीईए-एनओबीओ-एआईबीओए- एनओबीडब्ल्यू -बीओएमके-सेना-एमएनएस-एमएएनएस) के बैनर तले एक साथ आई हैं और उन्होंने सभी में एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। बीओएम की शाखाओं ने 27 जनवरी, नौ और 10 फरवरी को लिपिक/अधिकारियों/ उप-कर्मचारियों/अंशकालिक उप-कर्मचारियों की भर्ती, आईआर और मानव संसाधन नीतियों में द्विदलीयता की बहाली, कार्य-जीवन संतुलन और बदले की कार्रवाई के तहत स्थानांतरण आदि का विरोध जैसी मांगों को लेकर हड़ताल का आह्वान किया है।

श्री वेंकटचलम ने मंगलवार को ‘यूनीवार्ता ’ को बताया कि हड़ताल में लगभग 20,000 कर्मचारी और अधिकारी भाग लेंगे। उन्होंने सभी राज्य संघों/संघों से प्रदर्शनों की व्यवस्था/भागीदारी करके इस आंदोलन को अपना पूर्ण समर्थन देने का अनुरोध किया। शीर्ष संघ नेता ने कहा कि हाल के दिनों में बैंक ऑफ महाराष्ट्र में औद्योगिक संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। प्रबंधन के निरंतर एकतरफा और नकारात्मक दृष्टिकोण के खिलाफ सभी यूनियन द्वारा हड़ताल भी किये गये हैं।

उन्होंने कहा कि सुलह बैठकों के दौरान चीजों को ठीक करने के लिए कुछ प्रयास किए गए लेकिन इन प्रयासों का कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। एआईबीईए की ओर से भी हमने मुद्दों को सुलझाने के लिए कुछ प्रयास किए लेकिन आश्वासनों के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। वहीं दूसरी ओर प्रबंधन की और से मनमानी चल रही है।

उन्होंने बताया कि नवंबर 2022 में एआईबीईए के आंदोलन के दौरान विशेष रूप से श्रम कानूनों का पालन न करना, ट्रेड यूनियन अधिकारों की गैर-मान्यता सहित कई मुद्दों पर प्रकाश डाला गया था। श्री वेंकटचलम ने कहा कि वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने भी सभी बैंक सीईओ को परामर्श भेजा है कि प्रबंधन को श्रम कानूनों, आईडी अधिनियम और भारतीय ट्रेड यूनियन अधिनियम का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। इसके बाद भी प्रबंधन पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है।

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