मध्य प्रदेश

हरिकथा, मिलाद और चादरपोशी के साथ हुई ‘तानसेन समारोह’ की पारंपरिक शुरूआत

ग्वालियर, 19 दिसंबर : भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठापूर्ण महोत्सव ‘तानसेन समारोह’ की आज सुबह यहां पारंपरिक ढंग से शुरुआत हुयी। हजीरा स्थित तानसेन समाधि स्थल पर शहनाई वादन, हरिकथा, मिलाद, चादरपोशी और कव्वाली गायन हुआ।
तानसेन समारोह का औपचारिक शुभारंभ एवं तानसेन अलंकरण समारोह सायंकाल हजीरा स्थित तानसेन समाधि परिसर में चैन्नाकेशव मंदिर बेलूर की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर होगा। इसी मंच पर बैठकर देश और दुनियां के ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक सुर सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित करेंगे।
आज सुबह तानसेन समाधि स्थल पर परंपरागत ढंग से उस्ताद मजीद खां एवं साथियों ने रागमय शहनाई वादन किया। इसके बाद ढोलीबुआ महाराज नाथपंथी संत सच्चिदानंद नाथ ने संगीतमय आध्यात्मिक प्रवचन देते हुए ईश्वर और मनुष्य के रिश्तो को उजागर किया। उनके प्रवचन का सार था कि परहित से बढ़कर कोई धर्म नहीं। अल्लाह और ईश्वर, राम और रहीम, कृष्ण और करीम, खुदा और देव सब एक हैं। हर मनुष्य में ईश्वर विद्यमान है। हम सब ईश्वर की सन्तान है तथा ईश्वर के अंश भी हैं। सभी मतों का एक ही है संदेश है कि पापसभी नेकी के मार्ग पर चलें। ढोली बुआ महाराज द्वारा राग ‘बैरागी’ में कबीर रचित भजन प्रस्तुत किया।
भजन के बोल थे ‘संतन के संग दाग न लागे’। उन्होंने प्रिय भजन ‘रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम’ का गायन भी किया। ढोलीबुआ महाराज की हरिकथा के बाद मुस्लिम समुदाय से मौलाना इकबाल लश्कर कादिरी ने इस्लामी कायदे के अनुसार मिलाद शरीफ की तकरीर सुनाई। उन्होंने कहा सबसे बड़ी भक्ति मोहब्बत है। उनके द्वारा प्रस्तुत कलाम के बोल थे ‘तू ही जलवानुमा है मैं नहीं हूँ’। अंत में हजरत मौहम्मद गौस और तानसेन की मजार पर राज्य सरकार की ओर से सैयद जियाउल हसन सज्जादा नसीन जी द्वारा परंपरागत ढंग से चादरपोशी की गयी।
इससे पहले जनाब फरीद खानूनी, जनाब भोलू झनकार, जनाब लतीफ खां, जनाब अल्लाह रक्खा एवं उनके साथी कब्बाली गाते हुये चादर लेकर पहुंचे।
तानसेन समाधि पर परंपरागत ढंग से आयोजित हुए इस कार्यक्रम में अपर कलेक्टर एच बी शर्मा, एसडीएम प्रदीप सिंह तोमर और विनोद सिंह, सीएसपी रवि भदौरिया, तहसीलदार शारदा पाठक एवं शुभ्रता त्रिपाठी तथा बाल खांडे और दिनेश पाठक सहित अन्य कलारसिक, उस्ताद अलाउद्दीन खाँ कला एवं संगीत अकादमी के अधिकारी सहित गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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