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हरिद्वार के पंचायतों की विकास निधि में हेराफेरी मामले में सरकार से जवाब-तलब

नैनीताल 31 अगस्त: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार जनपद में ग्राम पंचायतों की विकास निधि में लाखों रुपए की हेराफेरी के मामले में बुधवार को सरकार का जवाब-तलब किया है।

इस मामले को हरिद्वार निवासी आदेश कुमार की ओर से एक जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है। इस प्रकरण की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि हरिद्वार जिले में ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 28 मार्च, 2021 को समाप्त हो गया था।

इसके बाद सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर पंचायतों को प्रशासकों के हवाले कर दिया। छह माह के लिये ग्राम पंचायतों में प्रशासक बैठा दिये गये। पुनः सरकार ने अधिसूचना जारी कर प्रशासकों का कार्यकाल छह माह के लिये और बढ़ा दिया।

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रशासकों का एक साल का कार्यकाल 28 मार्च, 2022 को समाप्त हो गया। याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि सरकार ने इसके बाद फिर एक अप्रैल, 2022 को फिर से अधिसूचना जारी कर पंचायतों में चुनाव होने तक प्रशासक नियुक्त कर दिये।

याचिकाकर्ता के अनुसार इसी बीच 29 सितम्बर, 2022 से 31 सितम्बर की अवधि के बीच बहादराबाद, भगवानपुर, रूड़की, नार्सन, लक्सर व खानपुर ब्लॉक की अनेक ग्रग्राम पंचायतों के खाते से लाखों रूपये की विकास निधि निकाल ली गयी।

याचिकाकर्ता की ओर से यह भी आरोप लगाया गया कि 29 सितम्बर से 31 सितम्बर की अवधि में जब पंचायतों में प्रशाासक नियुक्त नहीं किये गये थे, तब विकास निधि के पैसे निकाले गये।

याचिकाकर्ता की ओर से अदालत से इस मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की गयी है। इस मामले में प्रदेश सरकार के अलावा जिलाधिकारी हरिद्वार व सभी ब्लाकों में नियुक्त प्रशासकों को पक्षकार बनाया गया है। इस मामले में जनवरी महीने में सुनवाई होगी।

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