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सेवा और संस्कार भारतीय संस्कृति का हिस्सा: मांडविया

नयी दिल्ली 22 सितंबर : केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री मनसुख मांडविया ने सहयोग और सेवा को भारतीय संस्कारों का हिस्सा बताते हुए गुरुवार को कहा कि आबादी तक पहुंचने के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

श्री मांडविया ने आज यहां भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के राज्य स्तरीय नेतृत्व सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में हाल ही में कोविड महामारी के दौरान देखी गई स्वास्थ्य सुविधाओं में हुई प्रगति के बारे में दुनिया भर में चर्चा है।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा, “हम हमेशा अन्य देशों के स्वास्थ्य सेवा मॉडल देखकर रोमांचित होते रहे हैं, लेकिन कोविड ने हमारी व्‍यवस्‍था की ताकत दर्शायी और उन्नत देशों की इस संबंध में कमजोरियों को भी उजागर किया।”

उन्होंने कहा कि भारत ने न सिर्फ कोविड का सफल क्षेत्रीय मॉडल के साथ प्रबंधन किया, बल्कि वैक्सीन मैत्री के तहत दवाओं और टीकों की आपूर्ति के रूप में कई देशों को अंतरराष्ट्रीय सहायता भी प्रदान की। यह प्रशंसनीय है कि भारतीय दवाएं गुणवत्ता में कम साबित नहीं हुई और न ही उनकी कीमतें बढ़ाकर स्थिति का फायदा उठाया गया। यह ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के दर्शन के प्रति भारत की गहरी आस्था दर्शाता है।

श्री मांडविया ने अनूठे उद्यम अपनाने और आईआरसीएस के कामकाज के दायरे का विस्तार करने के लिए उपस्थित लोगों से सुझाव मांगे।

उन्होंने कहा, “सेवा और सहयोग हमारी विरासत का हिस्सा हैं और वे हमारे संस्कार का एक अभिन्न अंग हैं। ये भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के आदर्श वाक्य को भी रेखांकित और परिभाषित करते हैं जो जरूरत और आपात स्थिति में मानवता की सेवा और सहायता के प्रति अपने काम के लिए जाना जाता है।”

श्री मांडविया ने कहा कि रेड क्रॉस लोगों के बीच उम्‍मीद और आशा की किरण के तौर पर पहचाना जाता है। यह भरोसे और सुनिश्चित उपस्थिति का प्रतीक है। लेकिन उन्होंने आगाह किया कि अगर आईआरसीएस बदलते समय के साथ तालमेल नहीं बिठाता तो इसकी प्रासंगिकता और पहचान खो सकती है।

उन्‍होंने कहा, “आईआरसीएस को अपनी ताकत और कमजोरियों पर आत्मनिरीक्षण करने और समय के साथ बदलती भूमिका को अपनाने तथा इसके लिए खुद को फिर से परिभाषित करने की एक कार्य योजना तैयार करने की आवश्यकता है। इसके लिए संरचनात्मक और संगठनात्मक संरचनाओं के बारे में गहरी समझ बनाने, आईआरसीएस क्षेत्रीय केंद्रों के कामकाज में अनुशासन पर ध्यान देने, नियुक्तियों में पारदर्शिता बरतने, बेहतर शिकायत निवारण तंत्र बनाने और अन्य बातों के साथ-साथ जन-केंद्रित गतिविधियों के लिए डिजिटल तकनीक का बेहतर उपयोग करने की आवश्यकता है।

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