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जगदीप धनखड़ कंबोडिया में ताप्रोह्म मंदिर का करेंगे उद्घाटन

सीमरीप (कंबोडिया), 11 नवंबर : उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शुक्रवार को यहां जीर्णोद्धार किये गये ताप्रोह्म (बाबा ब्रह्मा) मंदिर का उद्घाटन करेंगे।

श्री धनखड़ कंबोडिया में आयोजित भारत आसियान और भारत पूर्व एशिया शिखर बैठक के सिलसिले में गुरुवार शाम को नामपेन्ह पहुंचे। ये बैठकें नामपेन्ह में आयोजित आसियान शिखर बैठक के साथ ही आयोजित की जा रही हैं।

ताप्रोह्म मंदिर का जीर्णोद्धार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग द्वारा कंबोडिया के सरकारी एजेंसी अप्सरा नेशनल अथॉरिटी के माध्यम से किया जा रहा है। भारत इस परियोजना को यूनेस्को की संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल इस बौद्ध मंदिर के जीर्णोद्धार में 2003 से अब तक करीब 50 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है। ताप्रोह्म परिसर के जीर्णोद्धार में शामिल एएसआई टीम के प्रमुख देवेन्द्र सिंह सूद ने भारत आसियान मीडिया संवाद कार्यक्रम के अन्तर्गत यहां आए भारतीय मीडियाकर्मियों के दल से बातचीत में कहा, “ हम सीमरीप क्षेत्र में अंकोरवाट मंदिर परिसर के इस महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिर के जीर्णोद्धार में 2003 से आठ स्थानों पर काम कर रहे हैं जिनमें तीन चौथाई काम हो चुका है। इस मंदिर के नृत्य मंडप का जीर्णोद्धार पूरा करने के साथ, वहां खुदाई में मिली भगवान बुद्ध की ध्यान मुद्रा में मूर्ति को उनके पुराने स्थान पर लगाया जा चुका है। श्री धनखड़ के नृत्य मंडप का उद्घाटन किए जाने के बाद उसे पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा।”

उन्होंने बताया कि उद्घाटन कार्यक्रम में कंबोडिया के संस्कृति और कला मंत्री और सीमरीप प्रांत के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित होंगे।

ताप्रोह्म मंदिर के द्वार पर चतुर्मुख देवता की प्रतिमा होने के कारण यह ब्रह्मा जी के मंदिर के नाम से विख्यात है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी के मध्य में खमेर वंश के प्रतापी राजा जयवर्द्धन सप्तम ने एक बौद्ध मठ के रूप में बनवाया था और इसे अपनी मां को समर्पित किया था।

खमेर स्थापत्य कला का यह अद्भुत नमूना जीर्णोद्धार कार्यक्रम शुरू होने से पहले खंडहर हो चुका था।

श्री सूद ने कहा,“ एएसआई की टीम जब यहां 2003-2004 के आसपास आयी, तो यहां हमारी टीम को वृक्षों के बीच मंदिर का खंडहर मिला था। एएसआई ने बड़ी शिद्दत के साथ पत्थरों की पहचान कर उन्हें फिर से उसी रूप में खड़ा करने का अभियान शुरू किया। इस अभियान में हमने मंदिर की कई खंडित दीर्घाओं गोपुरम विमान और मुख्य चबूतरे से दीर्घाओं तक जाने वाले मार्ग का जीर्णोद्धार कर दिया है। अब नृत्य मंडप भी ठीक हो चुका है।

उन्होंने कहा,“ यह वृक्ष मंदिर भी कहा जाता है। हम जीर्णोद्धार कार्य में एक प्राचीन विरासत के साथ-साथ प्रकृति को भी संरक्षित कर रहे हैं। हमारा प्रयास है कि इस मंदिर के विमानों के साथ हो चुके वृक्षों को भी संरक्षित किया जाए इस काम में हम भारतीय वन अनुसंधान संस्थान देहरादून की मदद ले रहे हैं। इस काम में एएसआई और अन्य विशेषज्ञ संगठनों की मदद ले रहा है। ”

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